भरोसा – स्वामी सत्यानन्दजी महाराज द्वारा रचित ‘भक्ति प्रकाश’ के पाँच दोहे
राम, हे राम, मेरे राम, मेरे राम !!
सर्वलोक में है रमा, तू मेरा भगवान .
ओंकार प्रभु राम तू, पावन देव महान ..
आया तेरे द्वार पर, दुखी, अबल, तव बाल .
पावन अपने प्रेम से, करिए इसे निहाल ..
सर्वशक्तिमय राम जी, अखिल विश्व के नाथ .
शुचिता, सत्य, विश्वास दे, सिर पर धर कर हाथ ..
हे राम मुझे दीजिये, अपनी लगन अपार .
अपना निश्चय अटल दे, अपना अतुल्य प्यार ..
मुझे भरोसा राम तू, दे अपना अनमोल .
रहूं मस्त निश्चिन्त मैं, कभी न जाऊं डोल ..
मनुष्य यंत्र है, इष्ट है यंत्री , उसके प्रत्येक कार्य का वास्तविक कर्ता ! आवश्यक है कि मनुष्य अपने इष्ट पर पूरा भरोसा रखे ! यह भरोसा केवल इष्ट की कृपा से और गुरु कृपा से ही प्राप्त होता है ! इष्ट से प्रीति करें, उन्हें प्रसन्न कर उनसे ही यह भरोसा मांगे !