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Monthly Archives: July 2017

गुस्सा सबसे बड़ा शत्रु क्यों ?????

गुस्सा सबसे बड़ा शत्रु क्यों

गुस्सा इंसान को अपनी भावना व्यक्त करने के तरीकों में से ही एक ऐसा तरीका है जिसमे लोग अपने डर, लालच , अहंकार , घमण्ड, बुराई ,दुर्व्यहार, ईर्ष्या, ईगो हार्ट, अपमान इत्यादि को व्यक्त करके अपने मन की भड़ास निकालते है

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हम कल के लिए आज नहीं सोचते

हम कल के लिए आज नहीं सोचते

एक नगर में एक संपन्न सेठजी रहते थे। वह दिनभर खूब मेहनत से काम करते थे। एक दिन उन्हें न जाने क्या सूझा कि अपने मुनीम को बुलाकर कहा, ‘पता करो हमारे पास कितना धन है और कब तक के लिए पर्याप्त है?’ कुछ दिन बाद मुनीम हिसाब लेकर आया और सेठ जी से बोला, ‘जिस हिसाब से आज खर्चा …

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कर्ण का दान और अर्जुन के अभिमान में श्रेष्ठ कौन

जब महाराज युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ पर राज्य करते थे। वे काफी दान आदि भी करते थे। धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धि दानवीर के रूप में फैलने लगी और पांडवों को इसका अभिमान होने लगा। एक बार कृष्ण इंद्रप्रस्थ पहुंचे। भीम व अर्जुन ने युधिष्ठिर की प्रशंसा शुरू की कि वे कितने बड़े दानी हैं। तब कृष्ण ने उन्हें बीच में ही टोक दिया …

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ईश्वर चंद्र विद्यासागर!!

1 रुपया देकर उन्होंने भिखारी को बना दिया था बड़ा व्यापारी

भारतीय समाजसुधारक, शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी ईश्वर चंद्र विद्यासागर का 1820 में जन्म हुआ था। विद्यासागर के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंग आज भी प्रासंगिक है और बेहतर समाज की नींव रखने में सहायक हो सकते हैं।

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निंदकों और आलोचकों से बचने का आसान उपाय

निंदकों और आलोचकों से बचने का आसान उपाय

रविन्द्रनाथ टैगोर विचारक ही नही, बल्कि शांत साधक थे। वे भयमुक्त थे। उनका स्वभाव शांत थे। वह काफी कम बात किया करते थे। कुछ लोग रविन्द्रनाथ टैगोर जी की निंदा करते थे। एक बार शरत् बाबू ने टैगोर से कहा, ‘मुझे आपकी निंदा सुनी नहीं जाती। आप अपनी आधारहीन आलोचना का प्रतिकार करें। टैगोर ने शांत भाव से इस बात …

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ये थी बेंजामिन फ्रैंकलिन की सोच, तभी बने वो महान

बेंजामिन फ्रैंकलिन बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। अमेरिका के संस्थापक सदस्यों में से एक बेंजामिन लेखक, मुद्रक, व्यंग्यकार, राजनीतिक विचारक, राजनीतिज्ञ, वैज्ञानिक, आविष्कारक, राजमर्मज्ञ, सैनिक, और राजनयिक थे। उन्होंने बिजली की छड़, बाईफोकल्स, फ्रैंकलिन स्टोव, एक गाड़ी के ओडोमीटर और ग्लास ‘आर्मोनिका’ का आविष्कार किया था। उन दिनों वह एक अखबार के संपादक, मुद्रक हुआ करते थे। इसके बाद उन्‍होंने …

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विचार देते हैं हौसला, समझदारी और शक्ति

दो तिनके एक नदी में गिर गए। दोनों एक ही हवा के झोंके से उड़कर एक ही साथ नदी तक आ पहुंचे थे। दोनों की परिस्थितियां समान थीं। परंतु दोनों की मानसिक स्थिति एक न थी। एक पानी में बह रहा था सुख-पूर्वक। तैरने का आनंद लेते हुए, तो दूसरे को किनारे पर पहुंचने की जल्दी थी। वह बड़े प्रयास …

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दोस्ती का एक अनोखा अंदाज

डॉ. जाकिर हुसैन जब विशेष अध्ययन के लिए जर्मनी गए हुए थे। वहां कोई भी अनजान व्यक्ति दूसरे अनजान को देखकर अपना नाम बताते हुए हाथ आगे बढ़ा देता था। इस प्रकार अपरिचित लोग भी एक दूसरे के दोस्त बन जाते थे। दोस्ती करने का यह रिवाज वहां काफी लोकप्रिय था। एक दिन जाकिर हुसैन कॉलेज में वार्षिकोत्सव मनाया जा …

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यूं ही नहीं दी जाती है अफलातून की मिसाल

शर्म नहीं आए तब तक सीखते रहिए

  अफलातून यूनानी दार्शनिक थे। उनके पास हर दिन कई विद्वानों का जमावड़ा लगा रहता था। सभी उनसे कुछ न कुछ ज्ञान प्राप्त करके जाया करते थे। लेकिन अफलातून खुद को कभी भी ज्ञानी नहीं मानते थे। वे हमेशा कुछ न कुछ नई बात सीखने को उत्सुक रहते थे। एक दिन उनके एक मित्र ने कहा, आपके पास दुनिया के …

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शर्म नहीं आए तब तक सीखते रहिए

शर्म नहीं आए तब तक सीखते रहिए

यूनानी दार्शनिक अफलातून के पास हर दिन कई विद्वानों का जमावड़ा लगा रहता था। सभी उनसे कुछ न कुछ ज्ञान प्राप्त करके जाया करते थे। लेकिन स्वयं अफलातून खुद को कभी भी ज्ञानी नहीं मानते थे। एक दिन उनके एक मित्र ने कहा, आपके पास दुनिया के बड़े-बड़े विद्वान कुछ न कुछ सीखने और जानने आते हैं और आपसे बातें …

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