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हनुमान जी और गोवर्धन का संबन्ध

भगवान श्री कृष्ण से पहले इसलिए हनुमान जी ने उठाया था गोवर्धन पर्वत

यह तो सब जानते हैं कि इन्दर के कोप से गोकुलवासियों बचने के लिए श्री कृष्ण ने गोवेर्धन को अपनी छोटी ऊँगली पर उठा लिया था। परन्तु बहुत कम लोग यह बात जानते हैं कि इसके पीछे एक और वजह है।

जैसे कि हम सब जानते हैं कि गोवर्धन पर्वत को गिरिराज महाराज के नाम से भी जाना जाता है और इन्हें साक्षात श्री कृष्ण का स्वरूप माना गया है। इसका एक कारण यह है कि भगवान श्री कष्ण ने कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि को गोर्वधन रूप में अपनी पूजा किए जाने की LIKY4X13S1बात कही थी। यह घटना उस समय हुई थी जब इंद्र के कोप से गोकुल वासियों को बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था।

परन्तु बहुत कम लोग यह जानते हैं कि इस घटना के पीछ हनुमान जी का भी हाथ था। असल में त्रेतायुग में जब भगवान श्री राम ने अवतार लिया तो उनको चैदह वर्ष का वनवास भी हुआ था। उस चैदह वर्ष के वनवास के दौरान रावण ने माता सीता का हरण भी किया । और उनको अपने साथ लंका ले गया। अब क्योंकि माता सीता को रावण कि कैद से छुड़ाने के लिए श्री राम को लंका जाना पड़ा। और लंका जाने के लिए उनको रास्ते में जो विशाल समुंदर पड़ता था उसको लांघना भी पड़ा। लेकिन उसको लांघने के लिए उसके उप्पेर पहले एक विशाल सेतु बनाना पड़ा।
जिसके लिए भगवान् श्री राम ने वानर सेना का सहारा लिया। वानर सेना ने भगवान्उ श्री राम के नेतृत्व में उस विशाल समुंदर के उप्पर एक विशाल सेतु बनाया। और ज़ाहिर सी बात है कि उस सेतु के लिए बहुत से पथरों कि आवशयकता थी।

तो इसलिए भगवान् श्री हनुमान जी हिमलय पर गए और एक पर्वत वहां से उठाकर समुद्र की ओर चल पड़े। मार्ग में पता चला कि सेतु का निर्माण हो गया है तो हनुमान जी ने पर्वत को वहीं जमीन पर रख दिया। पर्वत ने कहा कि मैं न तो राम के काम आया और न अपने स्थान पर रह सका। पर्वत की मनोदशा समझकर हनुमान जी ने कहा कि द्वापर में जब भगवान राम श्री कृष्ण के रूप में अवतार लेंगे उस समय वह आपको अपनी उंगली पर उठाकर देवता के रूप में प्रतिष्ठित करेंगे। इस तरह हनुमान जी ने गोवर्धन को देवता बनाने की लीला रची।

HINDI TO ENGLISH

It is known by all that that in order to save the Gokul dwellers from the wrath of Indra, Shri Krishna lifted Gowardhan on his little finger. But very few people know that there is another reason behind this.

As we all know that Govardhan Parvat is also known as Giriraj Maharaj and has been considered as the form of Lord Krishna. One of the reasons for this is that Lord Shri Krishna had spoken about his worship in the form of Govardhan on Kartik Shukla Pratipada Tithi. This incident happened when Shri Krishna lifted Govardhan on his little finger to save Gokul residents from Indra’s wrath.

But very few people know that Hanuman was also behind this incident. In fact, when Lord Shri Rama incarnated in Tretayuga, he was exiled for fourteen years. During that fourteen years of exile, Ravana also killed Mother Sita. And took them with him to Lanka. Now because Sri Rama had to go to Lanka to save Mother Sita from the captivity of Ravana. And to go to Lanka, he had to cross the huge sea that was lying on the way. But to jump over it, he had to build a huge bridge first.
For which Lord Shri Rama resorted to the army of monkeys. The army of monkeys built a huge bridge under the leadership of Lord Rama under that huge sea. And of course, that bridge required many stones.

So that’s why Lord Shree Hanuman ji went to the Himalayas and lifted a mountain from there and walked towards the sea. On the way, it was found that the bridge has been constructed, then Hanuman Ji placed the mountain on the ground there. The mountain said that I neither used to work for Rama nor could live in my place. Understanding the mood of the mountain, Hanuman Ji said that when Lord Rama incarnated as Shri Krishna in Dwapar, at that time, he will lift you up on his finger and make him famous as a deity. In this way Hanuman ji chose to make Govardhan a deity.

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