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कृष्णा और सुदामा का मिलन

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तीनो लोको के स्वामी सुधबुद्ध खोकर दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या, लक्ष्मणा और भद्रा भी पागल सी दौड़ रही है, ये कौन आ गया जिसके लिए प्रभु श्री कृष्ण दौड़ रहे है | मंत्री, सेनापति, द्वारपाल सब जड़ होकर खड़े है, ऊपर ब्रह्मा जी , कैलाशपति, बृहस्पति, देवराज इंद्र, सूर्य, चन्द्र, यम,शनि …

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जिन्दगी की तलाश में हम

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कालिंदी बेचारी ज्यादा पढ़ी लिखी तो नही थी पर !!! उस बेचारी ने बहुत कोशिश की थी कि उसके बच्चे पढ़ लिखकर उसका और उसके कुल खानदान का नाम बढ़ाएं…कालिंदी का पति बेचारा श्याम बिल्कुल “” श्याम “” जैसा ही सीधा और भोला था…उसे दुनिया की चालाकियां और चतुराई न समझ में आती थी और ना ही वह वैसा बनना …

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तप अनुमोदन

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तप के मार्ग का अनुसरण करने वाले हठ मनोबली शूरवीर होते है । तप से मन का कायाकल्प होता है । तपस्या की महिमा अपरंपार है, जो हमें मुक्ति के द्वार लेकर जाती है

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मकड़ी की कहानी

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शहर के एक बड़े संग्रहालय के बेसमेंट में कई पेंटिंग्स रखी हुई थी। ये वे पेंटिंग्स थीं, जिन्हें प्रदर्शनी कक्ष में स्थान नहीं मिला था।लंबे समय से बेसमेंट में पड़ी पेंटिंग्स पर मकड़ियों ने जाला बना रखा था

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छोटे बच्चे की कहानी

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तुम्हे कुछ दिन से देख रहा हूं, यहां रोज गोलगप्पे की रेहड़ी लगाते हो, स्कूल क्यों नहीं जाते. शर्मा जी ने सड़क किनारे रेहड़ी लगाए 14-15 साल के लड़के से कहा

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सही राह

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“सुधा…… क्या हाल बना रखा है तुमने अपना, अब तो तुम्हारे बदन से भी मसाले की खुशबू आती है | मोहन ने बाथरुम से निकलते ही सुधा को देखा और गुस्से से बड़बड़ाने लगा | सुधा ने मोहन की ओर देखा और आँखे झुका ली | “नाश्ता तैयार है….मोहन चिल्लाते हुए बोला…गुस्सा अपनी चर्म सीमा पर था | “जी ….संक्षिप्त …

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बाप ने सिखाया बेटे को सबक

SWARTHI-BETE-KO-SABAK

पापा जी आपने पूरा घर ही गन्दा कर दिया| अभी अभी राधा ने पोछा मारा था और आपने चप्पलों के निशान छोड़ दिए| थोड़ी तो समझ होनी चाहिए आपको? आप बच्चे तो हैं नहीं बहू रिया के मुँह से ये शब्द सुनकर अनिल जी हतप्रभ से खड़े रह गए

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हमारा स्टेशन आ गया है

इस वजह से अगली गाड़ी में तो कम से कम सफ़र सुखद हो, यह आशा मन में रखकर भगवान से प्रार्थना करते हुए दोनों सहेलियाँ स्टेशन पर उतर गयी । भागते हुए रिजरवेशन चार्ट तक वे पहुँची और चार्ट देखने लगी.चार्ट देख दोनों परेशान और भयभीत हो गयी क्योंकि उनका रिजर्वेशन कन्फर्म नहीं हो पाया था.

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राहचबेनी: एक अनूठी क़हानी

यह कहानी दिखाती है कि जीवन के अंत में भी कैसे एक इंसान दूसरों के लाभ के लिए कुछ कर सकता है। सावित्रीदेवी की इच्छा और मदन का समर्पण इस कहानी को अद्वितीय बनाता है।

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