शेखर जोशी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में 10 सितम्बर 1932 में हुआ था। शेखर जोशी की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई थी। माध्यमिक की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा विभाग में जोशी जी का ई.एम.ई. अप्रेन्टिसशिप के लिए चयन हो गया, जहाँ वे वर्ष 1986 तक सेवा में रहे, तत्पश्चात स्वैच्छिक रूप से …
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सुकून मिलता है
सितम्बर 1988 की बात है । पानागढ स्कूल में क्लास 3A की मैं क्लास टीचर थी । नयी - नयी नौकरी लगी थी , मैं दुनिया बदल दूँगी वाली उत्साह से भरी थी ।
Read More »कलम का सिपाही
एक ग़रीब नौजवान को हीले से लगाना उनके लिए मुशकिल बात न थी। नवाब के बारे मे उनका ख़्याल भी अच्छा था। सीधा, सच्चा, जहीन, मेहनती लड़का है। मगर बहुत ग़रीब है। बेकन साहब ने यहाँ-वहाँ दो-एक ख़त लिखे और मुंशीजी की नियुक्ति २ जुलाई
Read More »माँ दुर्गा जी
परम आदर्णीय माँ दुर्गा जी को चरण स्पर्श स्वीकार हो भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने बालीं माँ दुर्गा जी की सारे संसार में हरपल जय हो
Read More »सॉरी रांग नम्बर
अच्छा पापा, मैं भी निकलता हूँ ऑफिस से, बस दस मिनट में स्टेशन पहुँच जाऊँगा। आप वेटिंग रूम में बैठ जाइएगा” कहकर अंकित ने फोन काट दिया। उधर ट्रेन में बैठे राजेन्द्र जी और उनकी पत्नी उर्मिला ने भी बड़े उत्साह से अपना बैग-अटैची सँभाल ली क्योंकि दिल्ली का स्टेशन आने वाला ही था। गाड़ी भी रेंगने लगी थी।
Read More »दोपहर का भोजन
अचानक उसे मालूम हुआ कि बहुत देर से उसे प्यास लगी हैं। वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी लेकर गट-गट चढ़ा गई। ख़ाली पानी उसके कलेजे में लग गया और वह ‘हाय राम’ कहकर वहीं ज़मीन पर लेट गई।
Read More »ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे
ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे? कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा।बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा
Read More »श्री वृंदावन धाम का नज़ारा
जहां हर बच्चा राधा कृष्ण जी का स्वरुप है , जहां पढाई का पहला अक्षर भगवान् श्री हरी जी के नाम से है | यमुना जी का कल कल करता पानी, फल से लदे वृक्ष, फूलों के झुण्ड, भवरों की गुंजन, हरी नाम की रास लीलाओं के गान
Read More »संतोष ही सबसे बड़ा धन है
बॉस ने पूछा-" तुम्हारी पगार में क्या सब ठीक से हो जाता है? दो बच्चों को पढ़ाना, खिलाना- पिलाना वगैरह?" रामशरण ने कहा- सर!" अच्छी तरह तो नहीं होता लेकिन ऊपर वाले की यही मर्जी समझ चला लेता हूं।" रामशरण के जाने के बाद वह सोचने लगे की इतनी कम पगार में यह खुश रहता है। मेरे पास आज सब कुछ है लेकिन मैं हमेशा चिंतित रहता हूं। आखिर इसकी तरह खुश क्यों नहीं रहता
Read More »औरतें भी न
दो मिनट की आरामदायक और बच्चों के पसंद की ज़ायकेदार मैगी को छोड़, किचन में गर्मी में तप कर हरी सब्ज़ियाँ बनाती फिरती हैं।
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