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Krishna

राधा और रुक्मिणी

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इस कथा में सूरदास के स्वप्न का वर्णन है, जहां रुक्मिणी और राधिका के बीच कृष्ण के प्रेम का उल्लेख है। इसके साथ ही, इसमें प्रेम और त्याग के....

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जगन्नाथ मन्दिर

उड़ीसा में बैंगन बेचनेवाले की एक बालिका थी | दुनिया की दृष्टि से उसमें कोई अच्छाई नहीं थी | न धन था, न रूप |किन्तु दुनिया की दृष्टिसे नगण्य...

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दरिद्रता

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श्रीकृष्ण को श्राप से बचाने के लिए सुदामा ने उम्रभर की दरिद्रता स्वीकार की। एक ब्राह्मणी की कहानी, जिसने नाम लेकर भगवान का भोग समर्पित करने..

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पक्ष के प्रधान

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महाभारत में राजा दुर्योधन ने अपने सेनाध्यक्ष भीष्म के बजाय सेनापति द्रोणाचार्य के पास क्यों गए, इसे जानने के लिए पढ़ें। युद्ध में वफादारी....

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अक्षौहिणी सेना

हम सभी जानते हैं कि विश्व के विशालतम ग्रंथ महाकाव्य महाभारत में 18 पर्व हैं - आदि पर्व , सभा पर्व , वन पर्व , विराट पर्व , उद्योग पर्व.......

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श्री वृंदावन धाम का नज़ारा

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जहां हर बच्चा राधा कृष्ण जी का स्वरुप है , जहां पढाई का पहला अक्षर भगवान् श्री हरी जी के नाम से है | यमुना जी का कल कल करता पानी, फल से लदे वृक्ष, फूलों के झुण्ड, भवरों की गुंजन, हरी नाम की रास लीलाओं के गान

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सास बहु और ठाकुर जी

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सासु माँ ने विचार किया के ठाकुर जी की सेवा का कार्य अब बहु को देना पड़ेगा लेकिन बहु को तो कोई अक्कल है ही नहीँ के ठाकुर जी की सेवा कैसे करनी हैँ।

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पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 20

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 20

सूतजी बोले :- हे विप्रो! नारायण के मुख से राजा दृढ़धन्वा के पूर्वजन्म का वृत्तान्त श्रवणकर अत्यन्त तृप्ति न होने के कारण नारद मुनि ने श्रीनारायण से पूछा ॥ १ ॥ नारद जी बोले – हे तपोधन! महाराज दृढ़धन्वा ने मुनिश्रेष्ठ बाल्मीकि जी से क्या कहा? सो विस्तार सहित विनीत मुझको कहिये ॥  नारायण बोले – हे नारद! सुनिये। राजा दृढ़धन्वा ने महाप्राज्ञ …

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पुरुषोतम मास/अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 19

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 19

श्रीसूत जी बोले – हे तपस्वियो! इस प्रकार कहते हुए प्राचीन मुनि नारायण को मुनिश्रेष्ठ नारद मुनि ने मधुर वचनों से प्रसन्न करके कहा ॥ हे ब्रह्मन्‌!तपोनिधि सुदेव ब्राह्मण को प्रसन्न विष्णु भगवान्‌ ने क्या उत्तर दिया सो हे तपोनिधे! मेरे को कहिये ॥ श्रीनारायण बोले – इस प्रकार महात्मा सुदेव ब्राह्मण ने विष्णु भगवान्‌ से कहा। बाद भक्तवत्सल विष्णु भगवान् ने …

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पुरुषोतम मास/अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 18

पुरुषोतम मास /अधिक मास माहात्म्य अध्याय– 18

नारद जी बोले – हे तपोनिधे! उसके बाद साक्षात्‌ भगवान्‌ बाल्मीकि मुनि ने राजा दृढ़धन्वा को क्या कहा सो आप कहिये ॥ श्रीनारायण बोले – वह राजर्षि दृढ़धन्वा अपने पूर्व-जन्म का वृ्त्तान्त सुनकर आश्चीर्य करता हुआ मुनिश्रेष्ठ बाल्मीकि मुनि से पूछता है ॥ दृढ़धन्वा बोला – हे ब्रह्मन्‌! आपके नवीन-नवीन सुन्दर अमृत के समान वचनों को बारम्बार पान कर भी मैं तृप्त …

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