जगत् में आत्मा और परमाणु दो ही हैं। किसीको शांति दी हो, सुख दिया हो तो पुण्य के परमाणु इकट्ठे होते हैं और किसीको दु:ख दिया हो तो पाप के परमाणु इकट्ठे होते हैं। फिर वे ही काटते हैं। इच्छा के अनुसार होता है, वह पुण्य और इच्छा के विरुद्ध होता है, वह पाप। पाप दो प्रकार के हैं। एक पापानुबंधी पाप, दूसरा पुण्यानुबंधी पाप और पुण्य दो प्रकार के हैं, एक पापानुबंधी पुण्य, दूसरा पुण्यानुबंधी पुण्य।
[blog_post cat_slug=”punaya_paap”]
Check Also
बाबू वीर कुंवर सिंह
यदि हमें पिछले 200-250 वर्षों में हुए विश्व के 10 सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं की सूची बनाने को कहा जाए तो हम अपनी सूची में पहला नाम बाबू वीर कुंवर..