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Tag Archives: ढलते

कब आए कब जाए

Kab Aye Kab Jaye Bhajan

दुख है ढलते सूरज जैसा शाम ढले ढाल जाए दुख सुख दोनो कुच्छ पल के कब आए कब जाए दुख है ढलते सूरज जैसा शाम ढले ढाल जाए ओ शाम ढले ढाल जाए दुख तो हर प्राणी को होवय राम ने भी दुख झेला धैर्या प्रेम से वन मे रहे प्रभु चौदह बर्ष की बेला दुख तो हर प्राणी को …

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