फूल पर हँसकर अटक तो, शूल को रोकर झटक मत, ओ पथिक ! तुझ पर यहाँ अधिकार सबका है बराबर ! बाग़ है ये, हर तरह की वायु का इसमें गमन है, एक मलयज की वधू तो एक आँधी की बहन है, यह नहीं मुमकिन कि मधुऋतु देख तू पतझर न देखे, कीमती कितनी कि चादर हो पड़ी सब पर …
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Itani Shakti Hme
इतनी शक्ति हमें दे न दाता मन का विशवास कमज़ोर हो ना हम चलें नेक रस्ते पे हमेशा भूलकर भी कोई भूल हो ना हर तरफ ज़ुल्म है बेबसी है सहमा सहमा सा हर आदमी है पाप का बोझ बढ़ता ही जाए जाने कैसे ये धरती थमी है बोझ ममता का तू ये उठा ले तेरी रचना का ये अंत …
Read More »कैसे करूँ तेरी पूजा भवानी
कैसे करूँ तेरी पूजा भवानी, कैसे करूँ तेरी पूजा जल चढ़ाऊँ वो नहीं शुद्ध माँ वो मछली का जूठा भवानी, वो मछली का जूठा कैसे करूँ तेरी पूजा भवानी… दूध चढ़ाऊँ वो नहीं शुद्ध माँ, वो वछडे का जूठा भवानी, वो वछडे का जूठा कैसे करूँ तेरी पूजा भवानी… फूल चढ़ाऊँ वो नहीं शुद्ध माँ, वो भंवरे का जूठा …
Read More »खून से सींचा जिसको मैंने,फूल के जैसे पाला है
बचपन में माँ अपने बच्चों को बोलना सिखाती है और बोलते हुए बच्चों को देख वो बोहोत खुश होती है,पर जब वह बच्चा बड़ा होता है तो माँ को सब के सामने चुप रहना सिखाता है…ये कैसा न्याय है? खून से सींचा जिसको मैंने,फूल के जैसे पाला है, आज उसी बेटे ने अपने घर से मुझको निकाला है । गर्मी …
Read More »काबिलियत की पहचान
किसी जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था . तालाब के पास एक बागीचा था , जिसमे अनेक प्रकार के पेड़ पौधे लगे थे . दूर- दूर से लोग वहाँ आते और बागीचे की तारीफ करते . गुलाब के पेड़ पे लगा पत्ता हर रोज लोगों को आते-जाते और फूलों की तारीफ करते देखता, उसे लगता की हो सकता है …
Read More »वो फूल ना अब तक चुना पाया
जो फूल चढ़ाने हैं तुझपर मैं तेरा द्वार ना ढूंड सका भटक रहा हूँ डगर डगर …. क्या दुख क्या सुख सब भूल मेरी मैं उलझा हूँ इन बातों में दिन खोया चाँदी-सोने में सोया मैं बेसूध रातों में तब ध्यान किया मैने तेरा टकराया पग से जब पत्थर मैं तेरा द्वार ना ढूंड सका भटक रहा हूँ डगर डगर …
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