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Tag Archives: aanand

तेरा हाथ जिसने पकड़ा वो रहा ना बेसहारा

Guru Purnima oshad main story

तेरा हाथ जिसने पकड़ा, वो रहा ना बेसहारा । दरिया में डूब कर भी उसे मिल गया किनारा ॥ आनंद पा लिया है साईं के दर पे आ के, अब क्या करेंगे फिर से दुनिया के पास जा के । समझाया जिन्दगी ने बड़े काम का इशारा ॥ साईं से जो मिला है, कहीं और क्या मिलेगा, यह ऐसा सिलसिला …

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मजदूर के जूते (Worker’s shoes)

Worker's shoes

एक बार एक शिक्षक संपन्न परिवार से सम्बन्ध रखने वाले एक युवा शिष्य के साथ कहीं टहलने निकले . उन्होंने देखा की रास्ते में पुराने हो चुके एक जोड़ी जूते उतरे पड़े हैं , जो संभवतः पास के खेत में काम कर रहे गरीब मजदूर के थे जो अब अपना काम ख़त्म कर घर वापस जाने की तयारी कर रहा था . …

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गुरु का महत्त्व क्यों ?

Guru Purnima oshad main story

भारतीय संस्कृति में ‘आचार्य देवो भव’ कहकर गुरु को असीम श्रद्धा का पात्र माना गया है । गुरु शब्द में ‘गु’ का अर्थ अंधकार तथा ‘रु’ का दूर करने से लगाया जाता है । अर्थात जो अंधकार को दूर कर सके, वहीं गुरु है । वैसे, हमारे शास्त्रों में गुरु के अनेक अर्थ बताएं गए हैं । गुरु का महत्त्व …

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भक्तों की तीन श्रेणियां (Three categories of devotees)

chit chor meromakhan khay gayo re bhajan

भक्तों की तीन श्रेणियां होती हैं । एक तो वे होते हैं जो किसी फल की कामना से भगवान को भजते हैं । भगवान कहते हैं – उनकी भक्ति वास्तविक भक्ति नहीं, वह तो एक प्रकार की स्वार्थपरायणता है । दूसरी श्रेणी के भक्त वे हैं जो बिना किसी फल की इच्छा के अपना सर्वस्व उन्हें समर्पित कर सदा उनकी …

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व्रज जीवन का संगठन और तैयारी

Aisi Lagi Lagan , Merya Ho Gayi Magan

शैशव काल से ही भगवान ने अपने प्रेम के प्रभाव से सारे वज्र को एकता के सांचे में ढाल दिया था । पहले तो जैसा हम ऊपर कह आये हैं, उन्होंने सब लोगों के हित की दृष्टि से सारे वज्र की संपत्ति को बराबर बांट दिया और मनुष्यों, पशुओं तथा प्रकृति को एकता के सूत्र में बांध दिया । साथ …

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श्रीराधातत्त्व

khud to baahar hee khade rahe

श्रीराधा के संबंध में आलोचना करते समय सबसे पहले वैष्णवों के राधातत्त्व के अनुसार ही आलोचना करनी पड़ती है । वायुपुराण आदि में राधा की जैसी आलोचना है, इस लेख में हम उसका अनुसरण न कर वैष्णवोचित भाव से ही कुछ चर्चा करते हैं । राधातत्त्व के इतिहास के संबंध में किसी दूसरे निबंध में आलोचना की जा सकती है …

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माधुर्य रस में

maanas se : navadha bhakti

श्रीकृष्ण में निष्ठा, सेवाभाव और असंकोच के साथ ममता एवं लालन भी रहता है । मधुर रस में पांचों रस हैं, जिस प्रकार आकाशादि भूतों के गुण क्रमश: अन्य भूतों से मिलते हुए पृथ्वी में सब गुण मिल जाते हैं, इसी प्रकार मधुर रस में भी सब रसों का समावेश है । रस रूप श्रीकृष्ण की लीलाएं माधुर्य रस में …

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जगदम्बिके जय जय जग जननी माँ

Jagdambika jai jai jg janani maa bhajan

सरस सुपावन शक्ति हे …तेजोमयी  अपार हे आनंद स्वरूपणी….मम  हृदय कर उज्जियार जय माँ …..जय माँ …. अराधन तेरा करूं …निशदिन ,आठों याम घट अंतर शक्ति जगे …गाऊं तब शुभ नाम जय माँ …..जय माँ …. पत्तित-पावनी मात हे ….बालक शरण तिहार मंगलमय  वरदान दे ..यही विनती बारम्बार .. जय माँ …..जय माँ ..   saras supaavan shakti he … …

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सावरा जब मेरे साथ है, मुहज़े डरने की क्या बात है

krishana

सावरा जब मेरे साथ है, मुहज़े डरने की क्या बात है, इसके रहते कोई कुच्छ कहे, बोलो किसकी यह औकात है, च्छाई काली घटाए तो क्या, इसकी च्चतरी के नीचे हू मई, आयेज- आयेज यह चलता मेरे, मेरे मलिक के पिच्चे हू मई, इसने पकड़ा मेरा हांत है, इसके रहते कोई कुच्छ कहे, बोलो किसकी यह औकात है, सावरा जब …

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