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Tag Archives: chhavi

जाई जाई राधा रमण हरी बोल

Abhimanu Mahabharat Mahakavye

दोहा: अपने हरि को हम दूंढ लीओ, जिन लाल अमोलक लाख मे | हरि के अंग अंग मे नरमी है जितनी, नरमी नाही वैसी माखन मे || छवि देखत ही मै तो झाकी रही, मेरो चित चुरा लीओ झांकन मे | हियरा में बसो, जियरा में बसो, प्यारी-प्यारे बसो दऊ आखन में || लाडली-लाल बसो, श्यामा-श्याम बसो दऊ आंखन में …

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सुनि कान्हा तेरी बांसुरी

Suni Kanha Teri Bansuri

सुनि कान्हा तेरी बांसुरी बांसुरी तेरी जादू भरी सारा गोकुल लगा झूमने क्या अजब मोहिनी छा गयी मुग्ध यमुना थिरकने लगी तान बंसी की तड़पा गयी मैं तो जैसे हुई बावरी सुनि कान्हा तेरी बांसुरी बांसुरी तेरी जादू भरी हौले से कोई धुन छेड के तेरी बंसी तो चुप हो गयी सात  स्वर के भंवर में  कहीं मेरे मन की …

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