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Tag Archives: darshan

कीड़े से महर्षि मैत्रेय

Kire Se maharishi matray story

भगवान व्यास सभी जीवों की गति तथा भाषा को समझते थे । एक बार जब वे कहीं जा रहे थे तब रास्ते में उन्होंने एक कीड़े को बड़े वेग से भागते हुए देखा । उन्होंने कृपा करके कीड़े की बोली में ही उससे इस प्रकार भागने का कारण पूछा । कीड़े ने कहा – ‘विश्ववंध मुनीश्वर ! कोई बहुत बड़ी …

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द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अर्चा विग्रह – 4) श्री ओंकारेश्वर या ममलेश्वर

Dvadash Jyotirling

भगवान शिव का यह परम पवित्र विग्रह मालवा प्रांत में नर्मदा नदी के तट पर अवस्थित है । यहीं मांधाता पर्वत के ऊपर देवाधि देव शिव ओंकारेश्वर रूप में विराजमान हैं । शिवपुराण में श्रीओंकारेश्वर तथा श्रीअमलेश्वर के दर्शन का अत्यंत माहात्म्य वर्णित है । प्रसिद्ध सूर्यवंशीय राजा मांधाता ने, जिनके पुत्र अबरीष और मुचुकुंद दोनों प्रसिद्ध भगवद्भक्त हो गये …

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स्तंभेशवर महादेव, गुजरात 

Satambheshver Mahadev Mandir

गुजरात के बढ़ोदरा में भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है जो देखते ही देखते गायब हो जाता है और फिर अचानक ही दोबारा दिखने लगता है। इस मंदिर की इसी खूबी के कारण यह दुनियाभर में प्रसिद्ध और भोले के भक्त इस घटना को अपनी आंखों से देखने के लिए दौड़े चले आते हैं। आइए, जानते हैं इस मंदिर …

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अपना जीवन सेवा के लिए है

दूसरे की आत्मा को सुख पहुंचाने के समान कोई धर्म नहीं है – पर हित सरिस धर्म नहिं भाई । पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।। भगवान अन्न और वस्त्र सबके लिये आवश्यकता के अनुसार भेजते हैं । इसलिए जिसके पास जो चीज अधिक हो वह जिसके पास उसका अभाव हो उसे दे दे । परहित बस जिन्ह के मन …

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परमभक्त हनुमान्

bhakti ka adbhut prakashta story

हनुमान् जी महाराज भगवान् के परम भक्त थे। उनमें तीन बात विशेष थी- १- भगवान् के चरणों में रहते थे। भगवान् को छोड़कर एक क्षण भी अलग नहीं होना चाहते थे। जब भगवान् की आज्ञा होती थी, तभी भगवान् की आज्ञा पालन के लिये चरणों से अलग होते थे। २- जब भगवान् की आज्ञा हो गयी तो साथ में रहने …

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तीर्थो का महत्त्व‬

Tirtho Ka Mahtav Story

एक समय की बात है। गंगा के किनारे एक आश्रम में गुरु जी के पास कुछ शिष्यगण बैठे हुए कुछ धार्मिक स्थलों की चर्चा कर रहे थे। एक शिष्य बोला गुरु जी अब की बार गर्मियों में गंगोत्री, यमनोत्री की यात्रा हमें आपके साथ करनी है। आपके साथ यात्रा का कुछ अलग ही आनंद है। दर्शन के साथ-साथ हर चीज …

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आखिर क्यों पड़ी थी समुद्र मंथन की जरूरत..

Aakhir Kyo Pari Samunder Manthan Ki Jarurat Srory

एक बार शिवजी के दर्शन के लिए दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ कैलाश जा रहे थे। मार्ग में उन्हें देवराज इन्द्र मिले। इन्द्र ने दुर्वासा ऋषि और उनके शिष्यों को भक्तिपूर्वक प्रणाम किया। तब दुर्वासा ऋषि ने इन्द्र को आशीर्वाद देकर विष्णु भगवान का पारिजात पुष्प प्रदान किया। इन्द्रासन के गर्व में चूर देवराज इन्द्र ने उस पुष्प को …

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‎शिक्षाप्रद कहानियां- कोध्र पर विजय‬

Kodhr par vijay‬

गोदावरी नदी के तट पर संत एकनाथ बैठे हुए थे। उनके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते थे। वह जिस गांव में रहते थे, वहां एक चबूतरा था। जहां दिनभर संत विरोधियों का जमघट रहता था। एक दिन वहां एक व्यक्ति आया और तब उन्होंने कहा, तुम संत एकनाथ को नाराज करके दिखाओ। इसके बदले में हम तुम्हें धन …

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जानम जानम से तुम हो स्वामी

bhagavaan meree naiya us paar laga dena

मैं हूँ चरण की दासी आई शरण में हे गुरु ज्ञानी गुरु दर्शन की प्यासी…. सावन तुम हो बूँद मैं टुंरी.. सागर तुम हो ल़हेर मैं टुंरी जानम जानम… जीवन तुम हो प्राण मैं जिसकी… भजन जो तुम हो लाई हू मैं उसकी जानम जानम… रवि तो तुम हो किरण मई टुंरी…. शंकर तुम हो गाना हूँ मैं टुंरी जानम …

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दिल के हर धड़कन से, तेरा नाम निकलता है

krishna

तेरे दर्शन को मोहन, तेरा दस तरसता है जानम मो से जानम लेकर, मे हार गया मोहन दर्शन बिन व्यर्थ हुवा, हर भार मेरा जीवन क्या खेल सजाया है, मोहोरो की तारा हुमको क्या खूब नचाया है, खत पुतली सा हुमको ई खेल तेरे प्यारे, बस तूही समजता है यह दिल पुकारता है, एक भर चले आऊ दर्शन देखार प्यारे, …

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