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Tag Archives: devta

तोड़ नहीं पाया कोई श्याम का रिकॉर्ड

tod nahin paaya koee shyaam ka rikord

सारे देवताओं में है बांटने की होड़ जी, तोड़ नहीं पाया कोई श्याम का रिकॉर्ड जी, सारे देवताओं में है बांटने की होड़ जी | बैठ के हिसाब लगा कर के देखा, जोड़ कर के देखा,घटा कर के देखा, निकला ये हिसाब मेरा बाबा है बेजोड़ जी, सारे देवताओं में है बांटने की होड़ जी, तोड़ नहीं पाया कोई श्याम …

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कपाली – भगवान शिव के अवतार

Rakshak Parbhu

शैवागम के अनुसार दसवें रुद्र का नाम कपाली है । पद्मपुराण के अनुसार एक बार भगवान कपालीब्रह्मा के यज्ञ में कपाल धारण करके गए, जिसके कारण उन्हें यज्ञ के प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया गया । उसके बाद भगवान कपाली रुद्र ने अपने अनंत प्रभाव का दर्शम कराया । फिर सब लोगों ने उनसे क्षमा मांगी और यज्ञ में …

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कुवलाश्व के द्वारा जगत की रक्षा

पूर्वकाल में धुंधु नाम का एक राक्षस हुआ था । वह ब्रह्मा से वरदान पाकर देवताओं, दानवों, दैत्यों, नागों, गंधर्वों और राक्षसों के द्वारा अवध्य हो गया था तथा उसने तीनों लोकों को जीतकर अपने अधीन कर लिया था । वह अहंकार का पुतला था, अत: सदा अमर्ष में भरा रहता और सदा सबको सताया करता था । अंत में …

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भगवान शिव का हरिहरात्मक रूप

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

एक बार सभी देवता भगवान विष्णु के पास गये और उन्हें नमस्कार करने के बाद संपूर्ण जगत के अशांत होने का कारण पूछा । देवताओं के प्रश्न करने पर भगवान विष्णु ने कहा – ‘देवताओं ! हम तुम्हारे इस प्रश्न का यथोचित उत्तर नहीं दे सकते । हम सभी लोगों को एक साथ मिलकर भगवान शंकर के पास चलना चाहिए …

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अर्धनारीश्वर शिव

ardhanaareeshvar shiv

सृष्टि के आदि में जब सृष्टिकर्ता ब्रह्माद्वारा रची हुई सृष्टि विस्तार को नहीं प्राप्त हुई, तब ब्रह्मा जी उस दु:ख से अत्यंत दु:खी हुए । उसी समय आकाशवाणी हुई – ‘ब्रह्मन ! अब मैथुनी सृष्टि करो ।’ उस आकाशवाणी को सुनकर ब्रह्मा जी ने मैथुनी सृष्टि करने का विचार किया, परंतु ब्रह्मा की असमर्थता यह थी कि उस समय तक …

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आरोग्य – सुभाषित – मुक्तावली

aarogy - subhaashit - muktaavalee

सुख – दु:ख का कर्ता व्यक्ति स्वयं ही होता है, ऐसा समझकर कल्याणकारी मार्ग का ही अवलंबन लेना चाहिए, फिर भयभीत होने की कोई बात नहीं । परीक्षक – विवेकीजन ठीक – ठाक परीक्षा करके हितकर मार्ग का सेवन करते हैं, परंतु रजोगुण और तमोगुण से आवृत बुद्धिवाले लौकिक मनुष्य (हिताहितका विचार न करके तत्काल) प्रिय (मालूम होने वाले आचार …

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राम अंश

Nahaye Dhoye ke jo mn ka mael na jaye bhajan

अंसन्ह सहित मनुज अवतारा । लेहउं दिनकर बंस उदारा ।। ब्रह्मादि देवताओं की पुकार पर आकाशवाणी में ‘अंसन्ह सहित’ अवतार लेने की ब्रह्मगिरा हुई, उसी प्रकार श्रीस्वायंभुव मनु को भी वचन दिया गया – अंसन्ह सहित देह धरि ताता । करिहउं चरित भगत सुखदाता ।। अतएव इस बात की खोज आवश्यक है कि परम प्रभु के वे अंश कौन कौन …

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पितृभक्त बालक पिप्पलाद

pitrbhakt

वृत्रासुर ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। इन्द्र देवताओं के साथ स्वर्ग छोड़कर भाग गये थे। देवताओं के कोई भी अस्त्र-शस्त्र वृत्रासुर को मार नहीं सकते थे। अन्त में इन्द्र ने तपस्या तथा प्रार्थना करके भगवान् को प्रसन्न किया। भगवान् ने बताया कि महर्षि दधीचि की हड्डियों से विश्वकर्मा वज्र बनावे तो उससे वृत्रासुर मर सकता है। महर्षि दधीचि …

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प्रथम पूज्य श्रीगणेश जी

mhaara keertan me ras barasao

यज्ञ, पूजन, हवनादि के समय पहले किस देवता की पूजा की जाय?’ इस प्रश्न पर देवताओं में मतभेद हो गया। सभी चाहते थे कि यह सम्मान मुझे मिले। जब आपस में कोई निपटारा न हो सका, तब सब मिलकर ब्रह्माजी के पास गये, क्योंकि सबके पिता-पितामह तो ब्रह्मा जी ही हैं और सत्पुरुष बड़े-बूढों की बात अवश्य मान लिया करते …

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तिथियों और नक्षत्रों के देवता तथा उनके पूजन का फल

nakshtr

विभाजन के समय प्रतिपद् आदि सभी तिथियां अग्नि आदि देवताओं को तथा सप्तमी भगवान सूर्य को प्रदान की गई। जिन्हें जो तिथि दी गई, वह उसका ही स्वामी कहलाया। अत: अपने दिन पर ही अपने मंत्रों से पूजे जाने पर वे देवता अभीष्ट प्रदान करते हैं। सूर्य ने अग्नि को प्रतिपदा, ब्रह्मा को द्वितीया, यक्षराज कुवेर को तृतीया और गणेश …

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