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Tag Archives: Dharm

माता, पिता एवं गुरु की महिमा

श्रीसूत जी बोले – द्विजश्रेष्ठ ! चारों वर्णों के लिए पिता ही सबसे बड़ा अपना सहायक है । पिता के समान अन्य कोई अपना बंधु नहीं है, ऐसा वेदों का कथन है । माता – पिता और गुरु – ये तीनों पथप्रदर्शक हैं, पर इनमें माता ही सर्वोपरि है । भाइयों में जो क्रमश: बड़े हैं, वे क्रम – क्रम …

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रक्षक प्रभु

Rakshak Parbhu

  इन्द्र से वरदान में प्राप्त एक अमोघ शक्ति कर्ण के पास थी । इन्द्र का कहा हुआ था कि इस शक्ति को तू प्राणसंकट में पड़कर एक बार जिस पर भी छोड़ेगा, उसी की मृत्यु हो जाएंगी, परंतु एक बार से अधिक इसका प्रयोग नहीं हो सकेगा । कर्ण ने वह शक्ति अर्जुन को मारने के लिए रख छोड़ी …

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कीड़े से महर्षि मैत्रेय

Kire Se maharishi matray story

भगवान व्यास सभी जीवों की गति तथा भाषा को समझते थे । एक बार जब वे कहीं जा रहे थे तब रास्ते में उन्होंने एक कीड़े को बड़े वेग से भागते हुए देखा । उन्होंने कृपा करके कीड़े की बोली में ही उससे इस प्रकार भागने का कारण पूछा । कीड़े ने कहा – ‘विश्ववंध मुनीश्वर ! कोई बहुत बड़ी …

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महर्षि सौभरि की जीवन गाथा

Meh Rishi Sobheri Ki Jeevan Gatha Story

वासना का राज्य अखण्ड है । वासना का विराम नहीं । फल मिलने पर यदि एक वासना को हम समाप्त करने में समर्थ भी होते हैं तो न जाने कहां से दूसरी और उससे भी प्रबलतर वासनाएं पनप जाती हैं । प्रबल कारणों से कतिपय वासनाएं कुछ काल के लिये लुप्त हो जाती हैं, परंतु किसी उत्तेजक कारण के आते …

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भगवान श्रीकृष्ण और भावी संसार

Agar shyam ksunder ka shera na hota

  भरतखण्ड का इतिहास महाभारत की ही शाखा है । महाभारत का अर्थ है महान भारतवर्ष । हमलोग भारतवर्ष को महान देखना चाहते हैं । महाभारत के समय से ही धर्मराज्य की स्थापना के लिये संग्राम जारी है । भगवान श्रीकृष्ण का जिस समय अवतार हुआ, उस समय यह संग्राम जोरों पर था । भगवान श्रीकृष्ण का अवतार एक विशेष …

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श्रीकृष्ण और भावी जगत

Mujhe Shyam Sunder Ki Dulhan Bhajan

मनुष्य को आदि से सुख और शांति की खोज रही है और अंत तक रहेगी । मानव सभ्यता का इतिहास इसी खोज की कथा है । जिस जाति ने इस रहस्य को जितना अधिक समझा वह उतनी ही सभ्य, जितना ही कम समझा उतनी ही असभ्य समझी जाती है । लोग भिन्न भिन्न मार्गों से चले । किसी ने योग …

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जीवन में गुरु का महत्त्व

Jeevan Main Guru Ka Mehtav

प्रत्येक आत्मा को पूर्णता की प्राप्ति होगी और अंत में सभी प्राणी उस पूर्णवस्था का लाभ करेंगे यह बात निश्चित है । हमारी वर्तमान अवस्था हमारे पिछले कार्यों और विचारों का परिणाम है और हमारी भविष्य अवस्था हमारे वर्तमान कार्यों और विचारों पर अवलंबित रहेगी । ऐसा होते हुए भी हमारे लिये दूसरों से सहायता प्राप्त करने का मार्ग बंद …

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श्रीदुर्गासप्तशती के आदिचरित्र का माहात्म्य

durga maa ki jay

ऋषियों ने पूछा – सूतजी महाराज ! अब आप हमलोगों को यह बतलाने की कृपा करें कि किस स्तोत्र के पाठ करने से वेदों के पाठ करने का फल प्राप्त होता है और पाप विनष्ट होते हैं । सूतजी बोले – ऋषियों ! इस विषय में आप एक कथा सुनें । राजा विक्रमादित्य के राज्य में एक ब्राह्मण रहता था …

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अपना जीवन सेवा के लिए है

दूसरे की आत्मा को सुख पहुंचाने के समान कोई धर्म नहीं है – पर हित सरिस धर्म नहिं भाई । पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।। भगवान अन्न और वस्त्र सबके लिये आवश्यकता के अनुसार भेजते हैं । इसलिए जिसके पास जो चीज अधिक हो वह जिसके पास उसका अभाव हो उसे दे दे । परहित बस जिन्ह के मन …

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मातृ- पितृ भक्त श्रवणकुमार

sharvan

श्रवणकुमार जाति से वैश्य थे। इनके माता-पिता दोनों अन्धे हो गये थे। बड़ी सावधानी और श्रद्धा से ये उनकीसेवा करते थे और उनकी प्रत्येक इच्छा पूरी करने का प्रयत्न करते थे। इनके माता-पिता की इच्छा तीर्थयात्रा करने की हुई। उन्होंने एक कांवर बनायी और उसमें दोनों को बैठाकर कंधे पर उठाये हुए ये यात्रा करने लगे। ब्रह्माण के लिये तो …

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