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Tag Archives: embarrassed

अभिमान से नहीं उदारता से करो दान

अभिमान से नहीं उदारता से करो दान

राजा जानुश्रुति अपने समय के महान दानी थे। एक शाम वह महल की छत पर विश्राम कर रहे थे, तभी सफेद हंसों का जोड़ा आपस में बात करता आकाश-मार्ग से गुजरा। हंस अपनी पत्नी से कह रहा था। क्या तुझे राजा जानुश्रुति के शरीर से निकल रहा यश प्रकाश नहीं दिखाई देता। बचकर चल, नहीं तो इसमें झुलस जाएगी। हंसिनी …

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सहिष्णुता से होता है ह्दय परिवर्तन

सहिष्णुता से होता है ह्दय परिवर्तन

दशकों पहले स्वामी दयानद गंगा नदी के किनारे रहते थे। वहां वह चिंतन करते थे। वहां अन्य साधु रहते थे। वह उनकी इस साधना से ईर्ष्या करते थे। उन्हें लगता था कि दयानंद उनके प्रभाव को कम न कर दें। इस बात से नाराज होकर सभी साधुओं ने दयानंद जी को भला-बुरा कहा। लेकिन उन्होंने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया। …

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जिंदगी में चाहिए सफलता, तो सहिष्णुता का गुण अपनाएं –

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महात्मा सरयूदास का जन्म गुजरात के पारडी नामक गांव में हुआ था। उनका बचपन का नाम ‘भोगीलाल’ था। बचपन में उन्हें अपने पड़ोसी ‘बजा भगत’ का सत्संग मिला। सरयूदास जी की शिक्षा-दीक्षा बहुत थोड़ी थी।  सरयूदास अपने मामा के ही घर पर रहकर उनके व्यापार का कार्य संभालते थे। कुछ दिनों के बाद सरयूदास का विवाह हो गया। पर उनकी …

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अपने हर काम में कुछ इस तरह ढूंढें आनंद

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एक गांव में कुछ मजदूर पत्थर के खंभे बना रहे थे। उधर से एक संत गुजरे। उन्होंने एक मजदूर से पूछा- यहां क्या बन रहा है? उसने कहा- देखते नहीं पत्थर काट रहा हूं? संत ने कहा- हां, देख तो रहा हूं। लेकिन यहां बनेगा क्या? मजदूर झुंझला कर बोला- मालूम नहीं। यहां पत्थर तोड़ते-तोड़ते जान निकल रही है और …

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आगे जाना है तो अपनाएं सहनशीलता

आगे जाना है तो अपनाएं सहनशीलता

एक बार सरयूदास रेलगाड़ी से कहीं जा रहे थे। गाड़ी में भारी भीड़ थी। कहीं तिल रखने का स्नान भी नहीं था। संतजी के पास ही एक मजबूत कद काठी का व्यक्ति बैठा था। वह बार-बार संत की ओर पैर बढ़ाकर ठोकर मार देता था। संत सरयूदास ने बड़े दयाभाव से कहा, ‘भाई संकोच मत करना। लगता है तुम्हारे पैर …

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मरने के बाद धन नहीं, बल्कि याद किया जाता है यह

मरने के बाद धन नहीं, बल्कि याद किया जाता है यह

संत इब्राहिम की ईमानदारी के चर्चे उन दिनों हर किसी की जुबां पर थे। लोग इब्राहिम के पास अपनी तमाम समस्याएं लेकर आते और उनका निराकरण कर वापिस घर लौट जाते थे। एक दिन एक व्यक्ति संत के पास आया और उन्हें बहुत सारा धन दान देने की इच्छा जाहिर की। लेकिन संत को उस व्यक्ति के व्यवहार में अहंकार …

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स्वयं की अलग पहचान बनाना है तो कीजिए यह उपाय

एक गांव में एक किसान रहता था। वह रोज सुबह झरनों से साफ पानी लाने के लिए दो बड़े घड़े ले जाता था, जिन्हें वह डंडे में बांधकर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था। उनमें से एक घड़ाकहीं से फूटा हुआ था, और दूसरा एकदम सही था। इस तरह रोज घर पहुंचते-पहुंचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी …

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दृष्टिकोण का फ़र्क (difference in attitude of mind)

difference in attitude of mind

बहुत समय पहले की बात है ,किसी गाँव में एक किसान रहता था . वह रोज़ भोर में उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था . इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था , जिन्हें वो डंडे में बाँध कर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था . उनमे से …

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