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Tag Archives: karm

जन्म – कर्म

Abhimanu Mahabharat Mahakavye

भगवान के जन्म – कर्म की दिव्यता एक अलौकिक और रहस्यमय विषय है, इसके तत्त्व को वास्तव में तो भगवान ही जानते है अथवा यत्किंचित उनके वे भक्त जानते हैं, जिनको उनकी दिव्य मूर्ति का प्रत्यक्ष दर्शन हुआ हो, परंतु वे भी जैसा जानते हैं कदाचित वैसा कह नहीं सकते । जब एक साधारण विषय को भी मनुष्य जिस प्रकार …

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श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु और श्रीकृष्ण भक्ति

khud to baahar hee khade rahe

सर्वसम्पद पूर्ण – आनंद दायक आकर्षणसत्तायुक्त चिद्घनस्वरूप परमतत्त्व की ओर आकृष्ट चित्कणस्वरूप जीवसमुदाय की जो आकर्षम क्रिया है, उसी का नाम भक्ति है । यद्यपि यह श्रीकृष्ण – बक्ति जीवमात्र का नित्यसिद्ध स्वरूपगत स्वधर्म है, तथापि जीव की जड़बद्ध – दशा में इसका विशेष परिचय मनुष्य शरीर में ही अधिक प्राप्त होता है । संसार में क्या सभ्य, क्या असभ्य, …

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भगवान भास्कर की आराधना का अद्भुत फल

bhagavaan bhaaskar kee aaraadhana ka adbhut phal

महाराज सत्राजित का भगवान भास्कर में स्वाभाविक अनुराग था । उनके नेत्र कमल तो केवल दिन में भगवान सूर्य पर टकटकी लगाये रहते हैं, किंतु सत्राजित की मनरूपी आंखें उन्हें दिन – रात निहारा करती थीं । भगवान सूर्य ने भी महाराज को निहाल कर रखा था । उन्होंने ऐसा राज्य दिया था, जिसे वे अपनी प्यारभरी आंखों से दिन …

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देवी षष्ठी की कथा

Devi Shashti Ki Katha

प्रियव्रत नाम से प्रसिद्ध एक राजा हो चुके हैं । उनके पिता का नाम था स्वायम्भुव मनु । प्रियव्रत योगिराज होने के कारण विवाह करना नहीं चाहते थे । तपस्या में उनकी विशेष रुचि थी, परंतु ब्रह्मा जी की आज्ञा तथा सत्प्रयत्न के प्रभाव से उन्होंने विवाह कर लिया । विवाह के पश्चात् सुदीर्घकाल तक उन्हें कोई भी संतान नहीं …

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संत कबीरदास जंयती पर विशेष- कबीर दास की शिक्षा

Abhi to jagaya tujhe fir so gya bhajan

एक ब्राह्मण हमेशा धर्म-कर्म में मग्न रहता था। उसने जीवनभर पूजा पाठ किए बिना कभी भी अन्न ग्रहण नहीं किया था। जब वृद्धावस्था आई तो वह बीमार पड़ गया और अपना अंत समय निकट जानकर विचार करने लगा, काश! प्राण निकलने से पूर्व मुझे गंगाजल की एक बूंद मिल जाती तो मेरे पापों का नाश हो जाता और मुझे मुक्ति …

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