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Tag Archives: lakshmee

श्री लक्ष्मी चालीसा

Bhawani Mere Ghar Aavo Story

॥ दोहा॥ मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास। मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस॥ ॥ सोरठा॥ यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं। सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥ ॥ चौपाई ॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ जय जय जगत जननि …

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मनुष्य जीवन (Human life)

Human Life

मनुष्य जीवन का लक्ष्य  क्या है  ?मनुष्य का वर्तमान जीवन बड़ा अनमोल है क्योंकि अब संगमयुग में ही वह सर्वोत्तम पुरुषार्थ करके जन्म-जन्मान्तर के लिए सर्वोत्तम प्रारब्ध बना सकता है और अतुल हीरो-तुल्य कमाई कर सकता है I वह इसी जन्म में सृष्टि का मालिक अथवा जगतजीत बनने का पुरुषार्थ कर सकता है I परन्तु आज मनुष्य को जीवन का लक्ष्य मालूम न होने के …

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संतोषी माता की चालीसा (Santoshi Mata Chalisa)

Santoshi-mata

संतोषी माता को हिन्दू धर्म में गणेश जी की पुत्री माना जाता है, हालांकि इस बात का प्रमाण पुराणों में नहीं है। उत्तर भारत में माता संतोषी की पूजा के लिए शुक्रवार का व्रत करने का विधान है। शुक्रवार के दिन मां संतोषी की पूजा में निम्न चालीसा का भी प्रयोग किया जाता है। संतोषी माता की चालीसा  (Santoshi Mata …

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सेठ जी की परीक्षा

seth jee kee pareeksha

बनारस में एक बड़े धनवान सेठ रहते थे। वह  विष्णु भगवान् के परम भक्त थे और हमेशा सच बोला करते थे । एक बार जब भगवान् सेठ जी की प्रशंशा कर रहे थे तभी माँ लक्ष्मी ने कहा , ” स्वामी , आप इस सेठ की इतनी प्रशंशा किया करते हैं , क्यों न आज उसकी परीक्षा ली जाए और …

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पूजा में यंत्रों का महत्त्व क्यों ?

pooja mein yantron ka mahatv kyon ?

यंत्र का तात्पर्य चेतना अथवा सजगता को धारण करने का माध्यम या उपादान है । ये ज्यामितीय आकृतियों के होते हैं, जो त्रिभुज, अधोमुखी, त्रिभुज, वृत्त, वर्ग, पंचकोण, षटकोणीय आदि आकृतियों के होते हैं । मंडल का अर्थ वर्तुलाकर आकृति होता है, जो ब्रह्मंडीय शक्तियों से आवेशित होती है । यंत्र की नित्य पूजा उपासना और दर्शन से व्यक्ति को …

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मोक्ष संन्यासिनी गोपियां

moksh sanyasini gopiya

  कुछ लोग प्रतिदिन सकामोपासना कर मनवाञ्छित फल चाहते हैं, दूसरे कुछ लोग यज्ञादि के द्वारा स्वर्ग की तथा (कर्म और ज्ञान) योग आदि के द्वारा मुक्ति के लिए पार्थना करते हैं, परंतु हमें तो यदुनंदन श्रीकृष्ण के चरणयुगलों के ध्यान में ही सावधानी के साथ लगे रहने की इच्छा है । हमें उत्तम लोक से, दम से, राजा से, स्वर्ग …

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चक्रपाणि

Chakerpani

  इस अपार पयोधि की अनन्त उत्ताल तरंगों में अनिलानल में, नक्षत्रपूर्ण नीलाकाश में, मधुर ज्योत्स्नामय सुधाकर में, उद्दीप्त प्रखर ज्योतिमान सूर्य में चक्रपाणि का दर्शन हो रहा है । अनन्त सौंदर्य के अधिष्ठातृ देव भगवान कमललोचन शांतरूपेण विराजमान हैं । भू:, भुव:, स्व: आदि सप्तलोक महाप्रभु की एक अंगुली पर भ्रमित चक्रपर घुम रहे हैं । मृत्युलोकवासी अपनी भाषा …

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कर्तव्यपरायणता का अद्भुत आदर्श

Kartavya Parayanta ka adbhut adarsh

प्राचीन काल में सर्वसमृद्धिपूर्ण वर्धमान नगर में रूपसेन नाम का एक धर्मात्मा राजा था। एक दिन उसके दरबार में वीरवर नाम का एक गुणी व्यक्ति अपनी पत्नी, कन्या एवं पुत्र के साथ वृत्ति के लिए उपस्थित हुआ। राजा ने उसकी विनयपूर्ण बातों को सुनकर प्रतिदिन एक सहस्त्र स्वर्णमुद्रा का वेतन नियत कर सिंहद्वार के रक्षक के रूप में उसकी नियुक्ति …

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कैसे करें अक्षय तृतीया पर पूजा ताकि मिले पूरा फल

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अक्षय तृतीया को आखातीज के नाम से भी जाना जाता है। आखातीज का व्रत वैशाख माह में सुदी तीज को किया जाता है। इस दिन श्री लक्ष्मी जी सहित भगवान नारायण की पूजा की जाती है। पहले भगवान नारायण और लक्ष्मी जी की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए। उन्हें पुष्प और पुष्प-माल्यार्पण करना चाहिए। भगवान की धूप, दीप …

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तुलसीदल का महात्म्य

Learn about Tulsidas

भगवान शिव ने स्वयं कहा है – ‘‘सब प्रकार के पत्तों और पुष्पों की अपेक्षा तुलसी ही श्रेष्ठ मानी गई है। वह परम मंगलमयी, समस्त कामनाओं को पूर्ण करनेवाली, शुद्ध, श्रीविष्णु को अत्यंत प्रिय तथा ‘वैष्णवी’ नाम धारण करनेवाली है। वह संपूर्ण लोक में श्रेष्ठ, शुभ तथा भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाली है। भगवान श्रीविष्णु ने पूर्वकाल में संपूर्ण लोकों …

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