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Tag Archives: lalach

व्यर्थ है मोह का बंधन

vyarth hai moh ka bandhan

इतना मिल गया, इतना और मिल जाए फिर ऐसा मिलता ही रहें – ऐसे धन, जमीन, मकान, आदर, प्रशंसा, पद, अधिकार आदि की तरह बढ़ती हुई वृत्ति का नाम ‘लोभ’ है । जहां लड़ाई होती है, वहां समय, सम्पत्ति, शक्ति का नाश हो जाता है । तरह – तरह की चिंताएं और आपत्तियां आ जाती हैं । दो मित्रों में …

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दांव-पेंच

किसी गाँव में एक दिन कुश्ती स्पर्धा का आयोजन किया गया । हर साल की तरह इस साल भी दूर -दूर से बड़े-बडें पहलवान आये । उन पहलवानो में ऐक पहलवान ऐसा भी था, जिसे हराना सब के बस की बात नहीं थी। जाने-माने पहलवान भी उसके सामने ज्यादा देर टिक नही पाते थे। स्पर्धा शुरू होने से पहले मुखिया …

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