दयालु नाम है तेरा प्रभु हम पर दया कीजे ,हरि सब तुमको कहते हैं हमारा दुःख हर लीजे ॥दयालु नाम है तेरा प्रभु हम पर दया कीजे , विषय और भोग में निशिदिन फँसा रहता है मन मूरख ॥इसे अब ज्ञान देकर सत्य मारग पर लगा दीजे ,दयालु नाम है तेरा प्रभु हम पर दया कीजे ॥ तुम्हारी भूल कर …
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कौन थे राजा वीर विक्रमादित्य ?
*बड़े ही शर्म की बात है कि महाराज विक्रमादित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था*उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य…बहन मैनावती की शादी …
Read More »जीवन को इस तरह बनाओ पवित्र
एक बादशाह गुरु हरराय जी के दर्शन के लिए उनके निवास स्थान पर पहुंचा। उसने सत्संग के बाद गुरु जी से पूछा, महाराज हमारी धरती पर अनेक पैगंबर हुए हैं।मैं यह जानना चाहता हूं कि इनमें से किस पैगंबर पर विश्वास करने से हमारा कल्याण हो सकता है? किस पैगंबर की बातें मानने से हमें ईश्वर की कृपा प्राप्त हो …
Read More »संत भी न रोक सके चंचल मन की शरारत
एक संत बड़े तपस्वी और बहुत संयमी थे। लोग उनके धैर्य की प्रशंसा करते थे। एक दिन उनके मन में विचार आया कि उन्होंने खान-पान पर तो संयम कर लिया, लेकिन दूध पीना उन्हें बहुत प्रिय था। उसे त्याग करने के बारे में मन बनाया। इस तरह संत ने दूध पीना छोड़ दिया। सभी लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने …
Read More »कौन ज्यादा मनहूस आप या वो?
एक नगर में एक व्यक्ति इसीलिए मशहूर हो गया कि उसका चेहरा मनहूस था। ऐसा उस नगर में रहने वाले लोग कहते थे। यह बात जब राजा के पास पहुंची तो इस धारणा पर उन्हें विश्वास नहीं हुआ। राजा ने उस व्यक्ति को अपने महल में रख लिया और सुबह उठते ही उस व्यक्ति का मुंह देखा। इस तरह …
Read More »इंसान का सच्चा धन क्या ???
असल में यह धन ,बांग्ला -गाडी आदि हमारा सच्चा धन नहीं है। इंसान का सच्चा धन तो असल में कुछ और ही है। चलिए जानते हैं :- एक बार एक शक्तिशाली राजा घने वन में शिकार खेलने चला गया। अचानक ही आकाश में बादल छा गए और मूसलाधार वर्षा होने लगी। सूर्य अस्त होने लगा और धीरे-धीरे अँधेरा छाने लगा। …
Read More »एक दिन सभी को यहां जाना है
एक दिन एक व्यक्ति संत के पास गया और बोला, ‘महाराज! मुझे कोई ऐसा उपदेश दीजिए।जो जिंदगी भर याद रहे।क्योंकि मेरे पास इतना समय नहीं है, कि रोज आपके पास आऊं औऱ घंटों बैठकर आपका उपदेश सुनुं।’ संत ने कहा, ‘ठीक है तो चलो मेरे साथ।’ संत उस व्यक्ति को श्मशान ले गए। वह व्यक्ति घबरा रहा था। उसने कहा, …
Read More »आचरण सुंदर तो तन और मन भी सुंदर
बात उन दिनों की है जब भगवान श्रीराम अपने 14 वर्षों के वनवास के दौरान चित्रकूट में थे। भगवान राम एवं माता सीता कुटिया के बाहर बैठे हुए थे। लक्ष्मणजी उनके चरणों में बैठे थे। तभी श्रीराम ने कहा कि लक्ष्मण यहां आओ मेरे और सीता के बीच एक झगड़ा हो गया है। इसलिए तुम न्याय करो। लक्ष्मण जी मान …
Read More »ध्यान रखिए ताकि छलके नहीं दूध का मर्तबान
शुकदेव को उनके पिता ने परामर्श दिया कि वे महराज जनक की शरण में जाकर दीक्षा ग्रहण करें। पिता के परामर्श से शुकदेव महराज जनक के दरबार जा पहुंचे और राजा जनक से दीक्षा देने का अनुरोध किया। जनक ने शुकदेव की परीक्षा लेने से पहले उनकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से उनके हाथ में दूध का कटोरा दिया और …
Read More »ज्ञान प्राप्ति के लिए मन में श्रद्धा होना जरूरी
एक बार बालक नचिकेता ने अपने पिता से कहा, आप ब्राह्मणों को कृषि कार्य के लिए अनुपयोगी गाय दान में दे रहे हैं। पिता ने यह नहीं कहा कि हां, यह ठीक नहीं है परंतु वे समझ गए कि यह मेरी निंदा कर रहा है, मेरा अनादर कर रहा है, मेरे कृत्य की भर्त्सना कर रहा है। नचिकेता ने पिता …
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