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Tag Archives: maharaja

महाराज गन्धर्वसेन की कहानी

यह कहानी है अंधबिश्वास की, अंधजलान की। एक नगर में एक शेठ के यहाँ धोबी आया करता था। लेकिन कुछ दिन तक वह धोबी शेठ के पास नहीं आया। और थोड़े दिन बाद जब वह धोबी उस शेठ के पास आया तो शेठ ने पूछा, “तुम इतने दिन कहाँ चले गए थे।” तो धोबी ने कहा, “तुमको पता नहीं! महाराज …

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विवेकानंद कहते थे – बंदरों की तरह होती हैं कठिनाइयां

monkeys

घटना तब की है जब स्वामी विवेकानंद वृंदावन में थे। सड़क पर चल रहे थे। कुछ लाल मुंह के बंदर उनके पीछे पड़ गए। स्वामीजी भागने लगे। बंदर भी उन पर तेजी से आक्रमण करने लगे। तभी एक समझदार व्यक्ति ने कहा, भागो मत। इनके सामने डट कर खड़े रह जाओ। मुकाबला करो। स्वामीजी ने वैसा ही किया और बंदर …

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इंसान में होते हैं अवगुण, ऐसे करें पहचान

इंसान में होते हैं अवगुण, ऐसे करें पहचान

एक संत से एक बार एक व्यक्ति मिलने आया। उसने कहा, ‘महाराज मैं बहुत पापी व्यक्ति हूं। मुझे उपदेश दीजिए।’ संत ने कहा, अच्छा एक काम करो जो तुमको अपने से पापी, ‘तुच्छ और बेकार वस्तु लगे उसे मेरे पास लेकर आओ।’ उस व्यक्ति को सबसे पहले श्वान मिला। लेकिन संत द्वारा बताए गुण उसमें नहीं थे। वह स्वामीभक्त और …

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महात्मा की कृपा

khud to baahar hee khade rahe

पुण्यभूमि आर्यावर्त के सौराष्ट्र – प्रांत में जीर्णदुर्ग नामक एक अत्यंत प्राचीन ऐतिहासिक नगर है, जिसे आजकल जूनागढ़ कहते हैं । भक्तप्रवर श्रीनरसिंह मेहता का जन्म लगभग सं0 1470 में इसी जूनागढ़ में एक प्रतिष्ठित नागर ब्राह्मण परिवार में हुआ था । उनके पिता का नाम था कृष्णदामोदर दास तथा माता का नाम लक्ष्मी गौरी । उनके एक और बड़े …

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श्रीहरि भक्ति सुगम और सुखदायी है

Abhimanu Mahabharat Mahakavye

भोजन करिअ तृपिति हित लागी । जिमि सो असन पचवै जठरागी ।। असि हरि भगति सुगम सुखदाई । को अस मूढ़ न जाहि सोहाई ।। भाव यह कि भगवद्भक्ति मुंह में कौर ग्रहण करने के समान ही सुगम है – ‘भोजन करिअ तृपिति हित लागी ।’ वैसे ही वह सुखदायी भी है – ‘जिमि सो असन पचवै जठरागी ।।’ जिस …

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भक्त हनुमान

bhakti ka adbhut prakashta story

हनुमान जी महाराज भगवान के परम भक्त थे । उनमें तीन बात विशेष थी – 1. भगवान के चरणों में रहते थे । भगवान को छोड़कर एक क्षण भी अलग नहीं होना चाहते थे । जब भगवान की आज्ञा होती थी, तभी भगवान की आज्ञा पालन के लिये चरणों से अलग होते थे । 2. जब भगवान की आज्ञा हो …

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चाकर राख ले सावरिया, टेयरो भोथ बडो दरबार

ckakar rakh lo

चाकर राख ले सावरिया, टेयरो भोथ बडो दरबार, भोथ बडो दरबार टेयरो, भोथ बडो दरबार, चाकर राख ले, चाकर राख ले सावरिया, टेयरो भोथ बडो दरबार, भोथ बडो दरबार टेयरो, भोथ बडो दरबार, चाकर राख ले, पूरब पश्हिं उत्तर दक्षिण, दाशो दिशा मेी राज टेयरो, राजा और महाराजा तेरे, आयेज है लाचार, पूरब पश्हिं उत्तर दक्षिण, दाशो दिशा मेी राज …

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