गुरु बिन कौन सम्हारे । को भव सागर पार उतारे ॥ टूटी फूटी नाव हमारी पहुँच न पाई तट पर । जैसे कोई प्यासा राही । भटक गया पनघट पर । पास खड़ा गुरु मुस्काता है । दोनों बाँह पसारे। वो भवसागर पार उतारे । गुरु बिन … मेरे राम मुझे शक्ति दो । मन में मेरे दृढ़ भक्ति दो …
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गुरुजी मैं तो एक निरंजन ध्याऊँ
गुरुजी, गुरुजी , गुरुजी , गुरुजी …. गुरुजी मैं तो एक निरंजन ध्याऊँ जी। दूजे के संग नहीं जाऊँ जी।। दुःख ना जानूँ जी मैं दर्द ना जानूँ जी मैं । ना कोई वैद्य बुलाऊँ जी।। सदगुरु वैद्य मिले अविनाशी। वाको ही नाड़ी बताऊँ जी।। दूजे के संग नहीं जाऊँ जी।। गंगा न जाऊँ जी मैं जमना न जाऊँ जी मैं। ना कोई तीरथ …
Read More »इर्ष्या , क्रोध और अपमान (story of a young warrior)
टोकियो के निकट एक महान ज़ेन मास्टर रहते थे , वो अब वृद्ध हो चुके थे और अपने आश्रम में ज़ेन बुद्धिज़्म की शिक्षा देते थे . एक नौजवान योद्धा , जिसने कभी कोई युद्ध नहीं हारा था ने सोचा की अगर मैं मास्टर को लड़ने के लिए उकसा कर उन्हें लड़ाई में हरा दूँ तो मेरी ख्याति और भी फ़ैल …
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