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Tag Archives: naarad

मंगल मूरति मारुतनंदन जय हनुमान

vande santan hanumantan

मनोजवम मारुत तुल्य वेगम, जितेंद्रियम बुद्धिमतां वरिष्ठं वातात्मजं वानारायूथ मुख्यम, श्रीराम दूतं शरणम प्रपद्धे || मंगल मूरति,  मारुतनंदन,  भक्तविभूषण जय हनुमान सकल अमंगल, मूल निकंदन,  संकट मोचन जय हनुमान || (जय हनुमान  – जय हनुमान ) – २ (जय हनुमान -जय हनुमान,   जय हनुमान -जय हनुमान) – २ पवन तनय संतन हितकारी, ह्रदय बिराजत अवधविहारी राम लखन सीता श्री …

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आदर्श गृहस्थ

dasha mujh deen kee bhagavan sambhaaloge to kya hoga

श्रीमद्भागवत के वर्णन से यह पता लगता है कि भगवान श्रीकृष्ण आदर्श गृहस्थ थे । भागवत में वर्णन आता है कि जब श्रीनारद जी के दिल में यह प्रश्न उठा कि एक श्रीकृष्ण 16108 रानियों के साथ कैसे गृहस्था चला रहे हैं । तो इसकी जांच करने के लिए वह द्वारका पहुंचे और भगवान की एक – एक पत्नी के …

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एकमात्र श्रीकृष्ण ही धन्य एवं श्रेष्ठ हैं

एकमात्र श्रीकृष्ण ही धन्य एवं श्रेष्ठ हैं

एक कथा आती है कि देवर्षि नारद ने एक बार गंगा – तट पर भ्रमण करते हुए एक ऐसे कछुए को देखा, जिसका शरीर चार कोस में फैला हुआ था । नारद जी को उसे देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ, वह उस कछुए से बोले, हे कूर्मराज ! तू धन्य एवं श्रेष्ठ है, जो इतने विशाल शरीर को धारण किए हुए …

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श्रीकृष्ण और भागवत धर्म

Suni Kanha Teri Bansuri

मनुष्य जीवन का चरम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति है । भव बंधन से विमुक्त हो जाना, जीवात्मा का परमात्मा की सत्ता में विलीन हो जाना, आत्मतत्त्व का परमात्मतत्त्व के साथ अभेद हो जाना तथा हृदय के अंतस्तल में ‘वासुदेव: सर्वमिति, सर्वं खल्विदं ब्रह्म’ इत्यादि त्रिकालावाधित सिद्धांतवादियों की दिव्य ज्योति का समुद्भासित हो उठना ही मोक्ष है, यही परम पुरुषार्थ है । …

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