बात उस समय की बात है, जब देश अंग्रेजों का गुलाम था। तब एक बार पंडित मदन मोहन मालवीय को मुकदमे के सिलसिले में एक मौलवी ने अपना वकील बनाया। मुकदमे में कुछ अरबी पुस्तकों से न्यायालय के फैसलों के उद्धरण देने थे जिन्हें मालवीय जी ने अपने हाथ से नागरी लिपि में लिख लिया था। अदालत में विरोधी पक्ष …
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अगर सफल इंसान बनना है तो साथ रखो इंसानियत
कहते हैं महापुरषों का बचपन असामान्य रहता है। ऐसा ही कुछ पं. मदन मोहन मालवीय जी का भी था। एक बार प्रयाग में चौक के पास एक गली में बीमार श्वान (कुत्ता) पड़ा था। चोट लगने से उसे घाव हो गया था। वह छटपटा रहा था, चिल्ला रहा था। पर तमाशबीन बने लोग उसे देख रहे थे। बारह वर्षीय मदन …
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