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Tag Archives: praanee

साईं बाबा तेरी शिर्डी भगतो के खातिर

ab kar do naam deevaana

साईं बाबा साईं बाबा तेरी शिर्डी भगतो के खातिर है काशी काबा तेरे चरण की सेवा से प्रभु, पाए परम पद प्राणी तेर जप से मन निर्मल हो, मीठी होती वाणी तेरा कीर्तन है मुक्ति द्वार, साईं बाबा साईं बाबा… लोक और परलोक तुम्ही से, तुम ही हो परम धाम ध्यान तुम्हारा करने से प्रभु, मिट जाए मन के विकार …

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साईं नाम की लूट है प्राणी लूट सके तो लूट

saeen naam kee loot hai praanee loot sake to loot

साईं नाम की लूट है प्राणी, लूट सके तो लूट पाछे फिर पछतायेगा जप प्राण जाएंगे छूट जीवन पर काहे इतराये, यह साँसे तो आनी जानी काया एकदिन मिट लाएगी जीवन है बस बहता पानी साईं नाम का प्याला तू पीले, जीवन कड़वा घुट पाछे फिर पछतायेगा जप प्राण जाएंगे छूट… मोह माया यह मिथ्या सारी, काम तेरे ना ना …

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जीवन में गुरु का महत्त्व

Jeevan Main Guru Ka Mehtav

प्रत्येक आत्मा को पूर्णता की प्राप्ति होगी और अंत में सभी प्राणी उस पूर्णवस्था का लाभ करेंगे यह बात निश्चित है । हमारी वर्तमान अवस्था हमारे पिछले कार्यों और विचारों का परिणाम है और हमारी भविष्य अवस्था हमारे वर्तमान कार्यों और विचारों पर अवलंबित रहेगी । ऐसा होते हुए भी हमारे लिये दूसरों से सहायता प्राप्त करने का मार्ग बंद …

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आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति

Aanvale ke vrikṣ kee utpatti

पूर्वकाल में जब सारा जगत एकार्णव के जल में निमग्न हो गया था। समस्त प्राणी नष्ट हो गये थे, उस समय देवाधिदेव सनातन परमात्मा ब्रह्माजी अविनाशी परब्रह्म का जप करने लगे थे। ब्रह्मा का जप करते-करते उनके आगे श्वास निकला। साथ ही भगवान दर्शन के अनुरागवश उनके नेत्रों से जल निकल आया। प्रेम के आसुओं से परिपूर्ण वह जल की …

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अक्षय पात्र का रहस्य

Akṣay paatr kaa rahasy

महाभारत में अक्षय पात्र संबंधित एक कथा है। जब पांचों पांडव द्रौपदी के साथ 12 वर्षों के लिए जंगल में रहने चले गए थे, तब उनकी मुलाकात कई तरह के साधु-संतों से होती थी लेकिन पांचों पांडवों सहित द्रौपदी को यही चिंता रहती थी कि वे 6 प्राणी अकेले भोजन कैसे करें और उन सैकड़ों-हजारों के लिए भोजन कहां से …

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सुमरन कर ले मेरे मना

dasha mujh deen kee bhagavan sambhaaloge to kya hoga

सुमरन कर ले मेरे मना, तेरि बीति उमर हरि नाम बिना ।कूप नीर बिनु धेनु छीर बिनु, मंदिर दीप बिना, जैसे तरूवर फल बिन हीना, तैसे प्राणी हरि नाम बिना देह नैन बिन, रैन चंद्र बिन, धरती मेह बिना । जैसे पंडित वेद विहीना, तैसे प्राणी हरि नाम बिना काम क्रोध मद लोभ निहारो, छोड़ दे अब संतजना, कहे नानकशा …

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