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Tag Archives: purushottam

उर्मिला

उर्मिला’ संभवतया रामायण की सर्वाधिक उपेक्षित पात्र है.. जब भी रामायण की बात आती है तो हमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम याद आते हैं जो अपने पिता के वचन के लिए १४ वर्षों के वन को चले गए थे.. हमें देवी सीता याद आती हैं जो अपने पति के पीछे-पीछे वन की और चल दी..एक आदर्श भाई महापराक्रमी लक्ष्मण याद आते …

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त्रिपुरुष – विज्ञान

sansaaree - vyavasaayee mein bhed

भगवान कृष्ण ने भगवद्गीता में अपने – आपको अव्यय आत्मा कहा है । इसी अव्ययात्म – स्वरूप का विशेषरूप से स्पष्टीकरण है – लोक में दो पुरुष हैं – एक क्षर, दूसरा अक्षर । इंद्रियों से जो जाने जाते हैं वे सब भूत क्षर हैं, उनमें कूटस्थ – नित्यरूप से रहने वाला – विकृत न होने वाला पुरुष अक्षर कहा …

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गीता के उपदेष्टा श्रीकृष्ण

Abhimanu Mahabharat Mahakavye

परब्रह्म पुरुषोत्तम भगवान अपनी माया का अपनी योगमाया का अधिष्ठान करके मनुष्य रूप से सृष्टि में प्रकट होते हैं और संसार – चक्र की स्थानविच्युता धुरी को पुन: सुव्यवस्थित कर, अनेकता में एकत्व का अर्थात् भिन्न – भिन्न रूप से दिखनेवाले व्यक्तियों का मूलस्वरूप एक ही है, यह भान होने के लिए सुविधा प्रदान कर देते हैं । इस बात …

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Shattila Ekadashi

shitla-akadeshi1

षट्तिला एकादशी व्रत वधि (Shattila Ekadasi Vrat Vidhi) कथा के पश्चात इस एकादशी का जो व्रत विधान है वह जानते हैं. व्रत विधान के विषय में जो पुलस्य ऋषि ने दलभ्य ऋषि को बताया वह यहां प्रस्तुत है. ऋषि कहते हैं माघ का महीना पवित्र और पावन होता है इस मास में व्रत और तप का बड़ा ही महत्व है. …

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