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Tag Archives: raadha

गजानन हमारे घर आओ

gajaanan hamaare ghar aao

गजानन म्हारे घर आओ, विनायक म्हारे घर आओ, संग ल्याओ शुभ और लाभ गजानन रिद्ध-सिद्ध न ल्याओ.. गजानन म्हारे घर आओ… थे आओ प्रभु आओ गजानन ब्रह्मा जी न ल्याओ, विनायक ब्रह्मा जी न ल्याओ, वेदाँ क संग गायत्री माँ, वेदाँ क संग गायत्री माँ,  सरस्वती न ल्याओ ! गजानन म्हारे घर आओ.. थे आओ प्रभु आओ गजानन, विष्णु जी …

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मुझको राधा रमन करदो ऐसा मगन

dasha mujh deen kee bhagavan sambhaaloge to kya hoga

मुझको राधा रमन, करदो ऐसा मगन, रटूं तेरा नाम, मैं आठों याम । करुणानिधान मोपे कृपा कर रिझिए, बृज में बसाके मोहे सेवा सुख दीजिए । प्रेम से भरदो मन, गाउँ तेरे भजन, रटूं तेरा नाम, मैं आठों याम ॥ भाव भरे भूषणो से आपको सजाऊँ मैं, नितनव् भोज निज हाथों से पवाऊं मैं । करो जब तुम शयन, दाबू …

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श्याम संग राधा नाचे रे

sansaaree - vyavasaayee mein bhed

गोकुल में देखो, वृंदावन में देखो, मुरली बाजे रे श्याम संग राधा नाचे रे चन्द्र किरण सा श्याम सलोना, दोई आँखे कजरारी ठुमक ठुमक नाचे, गोपियन के संग, जग का पालन हारी सार बिहारी संग राधा सुकुमारी, ब्रिज में विराजे रे, श्याम संग राधा नाचे रे… छम छम नाचे राधे रानी सुन कर मीठी मुरलिया श्याम छवि पर सब बलिहारी …

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रसना राधे राधे गा

sansaaree - vyavasaayee mein bhed

रसना राधे राधे गा राधे राधे गाकर, जग में जीवन सफल बनाराधा नाम अमोलक प्यारे जनम जनम के कष्ट निवारे तू भी जपले, तू भी रटले, तू भी गाले, श्री राधा रसना राधे राधे गा राधा नाम सदा सुखदायी जो गावे उसे मिले कन्हाई मैं भी गावउँ, तुम भी गावो, सब मिल गावो श्री राधा रसना राधे राधे गा… राधा …

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राधा – भाव

Suni Kanha Teri Bansuri

राधा भाव में उपासक और उपास्य में प्रेमाधिक्य के कारण एकरूपता हो जाती है । यही कारण था कि भगवान श्रीकृष्ण राधा जी हो जाते थे और श्रीराधा श्रीकृष्ण बन जाती थीं ।इस प्रकार का परिवर्तन परम स्वाभाविक है । उदाहरणस्वरूप गर्गसंहिता का यह श्लोक है – श्रीकृष्ण कृष्णेति गिरा वदन्त्य: श्रीकृष्णपादाम्बूजलग्नमानसा: । श्रीकृष्णरूपास्तु बभूवुरंगना – श्र्चित्रं न पेशस्कृतमेत्य कीटवत् …

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भक्तों की तीन श्रेणियां (Three categories of devotees)

chit chor meromakhan khay gayo re bhajan

भक्तों की तीन श्रेणियां होती हैं । एक तो वे होते हैं जो किसी फल की कामना से भगवान को भजते हैं । भगवान कहते हैं – उनकी भक्ति वास्तविक भक्ति नहीं, वह तो एक प्रकार की स्वार्थपरायणता है । दूसरी श्रेणी के भक्त वे हैं जो बिना किसी फल की इच्छा के अपना सर्वस्व उन्हें समर्पित कर सदा उनकी …

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श्रीराधातत्त्व

khud to baahar hee khade rahe

श्रीराधा के संबंध में आलोचना करते समय सबसे पहले वैष्णवों के राधातत्त्व के अनुसार ही आलोचना करनी पड़ती है । वायुपुराण आदि में राधा की जैसी आलोचना है, इस लेख में हम उसका अनुसरण न कर वैष्णवोचित भाव से ही कुछ चर्चा करते हैं । राधातत्त्व के इतिहास के संबंध में किसी दूसरे निबंध में आलोचना की जा सकती है …

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श्रीराधिका जी का उद्धव को उपदेश

Shreeraadhikaa jee kaa uddhav ko upadesh

  गोपियों के अद्भुत प्रेम – प्रवाह में ज्ञानशिरोमणि उद्धव का संपूर्ण ज्ञानभिमान बह गया । विवेक, वैराग्य, विचार, धर्म, नीति, योग, जप और ध्यान आदि संपूर्ण संबल के सहित उसकी ज्ञान नौका गोपियों के प्रेम समुद्र में डूब गयी । उद्धव गोपियों का मोह दूर करने आया था किंतु वह स्वयं ही उनके (दिव्य) मोह में मग्न हो गया …

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श्री राधा कृष्णाय नमः

shree raadha krshnaay namah

श्री राधा कृष्णाय नमः .. श्री राधा कृष्णाय नमः .. ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण श्री राधा कृष्णाय नमः .. चन्द्रमुखी चंचल चितचोरी, जय श्री राधा सुघड़ सांवरा सूरत भोरी, जय श्री कृष्ण श्यामा श्याम एक सी जोड़ी श्री राधा कृष्णाय नमः .. पंच रंग चूनर, केसर न्यारी, जय श्री राधा पट पीताम्बर, कामर कारी, जय श्री कृष्ण …

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