दक्षिण भारत में एक महान् सन्त हुए तिरुवल्लुवर। वे अपने प्रवचनों से लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे। इसलिए उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से लोग उनके पास आते थे। एक बार वे एक नगर में पहुँचे। उनके प्रवचन को सुनने के पश्चात एक सेठ ने हाथ जोड़कर निराशा का भाव लिए उनसे कहा, गुरुवर, मैंने पाई-पाई जोड़ कर …
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भगवान ऐसे लोगों को सद्बुद्धि दें
एक संत थे। वह प्रातः काल अपने शिष्यों के बीच बैठकर प्रभु से प्रार्थना किया करते थे। वह सबसे पहले पूरी मानव जाति के कल्याण की प्रार्थना करते और इसके बाद हाथ जोड़कर कहते कि, हे प्रभु मेरे परमपिता, आप गलत कार्य करने वाले लोगों को सद्बुद्धि दें। उनको सही रास्ता दिखाएं ताकि वो गलत कामों को छोड़कर दया का …
Read More »बड़े काम की है सुखदा मणि
बहुत पुरानी बात है। एक संत थे। धर्म में श्रद्धा के कारण वह हमेशा खुश रहते थे। उनके चेहरे से उल्लास टपकता था। एक बार कुछ चोरों ने समझा कि संत के पास कोई बड़ी दौलत है, अन्यथा हर घड़ी इतने प्रसन्न रहने का और क्या कारण हो सकता है? अवसर पाकर चोरों ने संत का अपहरण कर लिया, जंगल …
Read More »ना जाने किस भेष में दया धर्म मिल जाए
एक बार संत एकनाथ अपने शिष्यों के साथ काशी से रामेश्वरम की यात्रा पर जा रहे थे। उनके हाथ में कमंडल था जिसमें गंगा-जल भरा हुआ था। गर्मी का समय था। मीलों तक पानी नहीं मिलता था। संत एकनाथ ने देखा कि एक गधा प्यास से तड़प कर मरने वाला था। उन्होंने पानी का कमंडल उसके मुंह में उड़ेल दिया। …
Read More »जानिए यह है आत्मा की मुक्ति का सच्चा मार्ग
किसी धनी व्यक्ति के घर एक संत भिक्षा लेने के लिए गए। उस व्यक्ति के यहां एक तोता था वो पिंजरे में कैद था। तोता संत को देखकर बहुत खुश हुआ।भिक्षा लेने के बाद जब संत जाने लगे तो तोते ने कहा, ‘हे महात्मा! में इस पिंजरे में काफी दिनों से बंद हूं। जब में अपने साथियों को उड़ते हुए …
Read More »झूठे हैं ये रिश्ते
एक बार इटली के संत फ्रांसिस के पास एक युवक सत्संग सुनने के लिए आया। संत ने उससे हाल-चाल पूछा, तो उसने स्वयं को अत्यंत सुखी बताया। वह बोला, ‘मुझे अपने परिवार के सभी सदस्यों पर बड़ा गर्व है। मैं उनके व्यवहार से संतुष्ठ हूं।’ संत बोले, ‘तुम्हें अपने परिवार के बेर में ऐसी धारणा नहीं बनानी चाहिए। इस दुनिया …
Read More »बोले हुए शब्द वापस नहीं आते
एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया.उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा. संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख …
Read More »संत भी न रोक सके चंचल मन की शरारत
एक संत बड़े तपस्वी और बहुत संयमी थे। लोग उनके धैर्य की प्रशंसा करते थे। एक दिन उनके मन में विचार आया कि उन्होंने खान-पान पर तो संयम कर लिया, लेकिन दूध पीना उन्हें बहुत प्रिय था। उसे त्याग करने के बारे में मन बनाया। इस तरह संत ने दूध पीना छोड़ दिया। सभी लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने …
Read More »जिंदगी में चाहिए सफलता, तो सहिष्णुता का गुण अपनाएं –
महात्मा सरयूदास का जन्म गुजरात के पारडी नामक गांव में हुआ था। उनका बचपन का नाम ‘भोगीलाल’ था। बचपन में उन्हें अपने पड़ोसी ‘बजा भगत’ का सत्संग मिला। सरयूदास जी की शिक्षा-दीक्षा बहुत थोड़ी थी। सरयूदास अपने मामा के ही घर पर रहकर उनके व्यापार का कार्य संभालते थे। कुछ दिनों के बाद सरयूदास का विवाह हो गया। पर उनकी …
Read More »एक दिन सभी को यहां जाना है
एक दिन एक व्यक्ति संत के पास गया और बोला, ‘महाराज! मुझे कोई ऐसा उपदेश दीजिए।जो जिंदगी भर याद रहे।क्योंकि मेरे पास इतना समय नहीं है, कि रोज आपके पास आऊं औऱ घंटों बैठकर आपका उपदेश सुनुं।’ संत ने कहा, ‘ठीक है तो चलो मेरे साथ।’ संत उस व्यक्ति को श्मशान ले गए। वह व्यक्ति घबरा रहा था। उसने कहा, …
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