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Tag Archives: sansaar

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

KasheeVishvanath

श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग वाराणसी (Kashi Vishwanath Temple, Varanasi) जनपद के काशी नगर में अवस्थित है। कहते है, काशी तीनों लोकों में न्यारी नगरी है, जो भोले बाबा के त्रिशूल पर विराजती है। इस मंदिर को कई बार बनाया गया। नवीनतम संरचना जो आज यहां दिखाई देती है वह 18वीं शताब्दी में बनी थी। कहा जाता है कि एक बार …

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घबरा नहीं अब तू खड़ा मैया जी के दरबार में

ghabara nahin ab too khada maiya jee ke darabaar mein

घबरा नहीं अब तू खड़ा मैया जी के दरबार में। होंगी मुरादें पूरी बन्दे तेरी सब इक बार में। छँट जाएगी सब कालिमा, मिट जाएगा तेरा भरम, खुशियों से घर भर जाएगा, हो जाएँगे ऐसे करम। जग जाएगी किस्मत, बड़ा सुख पाएगा संसार में, होंगी मुरादें पूरी बन्दे तेरी सब इकबार में। क्यों रो रहा है पोंछ आँसू, सब्र से …

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अद्भुत है अमरनाथ शिवलिंग (Amazing is the Amarnath Lingam)

Amarnath Yatra Ka Mahtav

अमरनाथ शिवलिंग हिम से निर्मित होता. यह शिवलिंग अन्य शिवलिंगों की भांति सालों भर नहीं रहता है. वर्ष के कुछ महीनों में यहां हिम से स्वयं शिवलिंग का निर्माण होता है. स्वयं हिम से निर्मित शिवलिंग होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहा जाता है. आषाढ़ पूर्णिमा से शिवलिंग का निर्माण होने लगता है जो श्रावण पूर्णिमा के …

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मैया जी के दरबार में

maiya jee ke darabaar mein

घबरा नहीं अब तू खड़ा मैया जी के दरबार में। होंगी मुरादें पूरी बन्दे तेरी सब इक बार में। छँट जाएगी सब कालिमा, मिट जाएगा तेरा भरम, खुशियों से घर भर जाएगा, हो जाएँगे ऐसे करम। जग जाएगी किस्मत, बड़ा सुख पाएगा संसार में, होंगी मुरादें पूरी बन्दे तेरी सब इकबार में। क्यों रो रहा है पोंछ आँसू, सब्र से …

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जप साधना

jap saadhana

मनोमय कोश स्थिति एवं एकाग्रता के लिए जप  का साधन बड़ा ही उपयोगी है। इसकी उपयोगिता  इससे निर्विवाद है कि सभी धर्म, मजहब, सम्प्रदाय  इसकी आवश्यकता को स्वीकार करते हैं। जप करने से  मन की प्रवृत्तियों को एक ही दिशा में लगा देना सरल हो  जाता है। कहते हैं कि एक बार एक मनुष्य ने किसी भूत को सिद्ध कर …

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सत् – असत् का ज्ञान

saeen kee nagariya jaana hai re bande

सत् – असत् का विवेक मनुष्य अगर अपने शरीर पर करता है तो वह साधक होता है और संसार पर करता है तो विद्वान होता है । अपने को अलग रखते हुए संसार में सत् – असत् का विवेक करने वाला मनुष्य वाचक (सीखा हुआ) ज्ञानी तो बन जाता है, पर उसको अनुभव नहीं हो सकता । परंतु अपनी देह …

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स्वामी विवेकानंद जयंती

Shikshapard Khaniya

स्वामी विवेकानंद आधुनिक युग के प्रथम पंक्ति के विश्व प्रसिद्ध महापुरुष थे । वे भारतीयता के आदर्श प्रतिनिधि होने के अतिरिक्त, वैदिक धर्म तथा संस्कृति के ओजस्वी वक्ता भी थे । वेदांत को आज के विज्ञान के सम्मुख जिस हृदयगंम रूप में उन्होंने प्रतिपादित किया यह उन की ओजस्वी प्रतिभा का प्रतिबिंब है । उनके स्फूर्तिदायी विचारों से केवल भारत …

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पैसा पाने के लिए पैसा दें (Give money to get money)

2000 thousand rupees in india

पैसा देना अपने जीवन में ज्यादा पैसा लाने की जबर्दस्त तकनीक है, क्योंकि यह करते समय दरअसल आप कहरहे हैं, “मेरे पास बहुत पैसा है।” हैरानी की कोई बात नहीं है कि दुनिया के सबसे दौलतमंद लोग सबसे बड़े दानवीर होते हैं। वे बहुत हड़ी रकम दान देते हैं और इसके बाद आकर्षण के नियम के माध्यम से ब्रह्मांड बदले …

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श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु और श्रीकृष्ण भक्ति

khud to baahar hee khade rahe

सर्वसम्पद पूर्ण – आनंद दायक आकर्षणसत्तायुक्त चिद्घनस्वरूप परमतत्त्व की ओर आकृष्ट चित्कणस्वरूप जीवसमुदाय की जो आकर्षम क्रिया है, उसी का नाम भक्ति है । यद्यपि यह श्रीकृष्ण – बक्ति जीवमात्र का नित्यसिद्ध स्वरूपगत स्वधर्म है, तथापि जीव की जड़बद्ध – दशा में इसका विशेष परिचय मनुष्य शरीर में ही अधिक प्राप्त होता है । संसार में क्या सभ्य, क्या असभ्य, …

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गीता के उपदेष्टा श्रीकृष्ण

Abhimanu Mahabharat Mahakavye

परब्रह्म पुरुषोत्तम भगवान अपनी माया का अपनी योगमाया का अधिष्ठान करके मनुष्य रूप से सृष्टि में प्रकट होते हैं और संसार – चक्र की स्थानविच्युता धुरी को पुन: सुव्यवस्थित कर, अनेकता में एकत्व का अर्थात् भिन्न – भिन्न रूप से दिखनेवाले व्यक्तियों का मूलस्वरूप एक ही है, यह भान होने के लिए सुविधा प्रदान कर देते हैं । इस बात …

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