ॐ जय महावीर प्रभु, स्वामी जय महावीर प्रभु । कुण्डलपुर अवतारी, चांदनपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभु ॥ सिध्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी । बाल ब्रह्मचारी व्रत, पाल्यो तप धारी ॥ आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी । माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ॥ जग में पाठ अहिंसा आप ही विस्तारयो । हिंसा पाप मिटा कर, सुधर्म परिचारियो ॥ …
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व्रज जीवन का संगठन और तैयारी
शैशव काल से ही भगवान ने अपने प्रेम के प्रभाव से सारे वज्र को एकता के सांचे में ढाल दिया था । पहले तो जैसा हम ऊपर कह आये हैं, उन्होंने सब लोगों के हित की दृष्टि से सारे वज्र की संपत्ति को बराबर बांट दिया और मनुष्यों, पशुओं तथा प्रकृति को एकता के सूत्र में बांध दिया । साथ …
Read More »श्रीराधातत्त्व
श्रीराधा के संबंध में आलोचना करते समय सबसे पहले वैष्णवों के राधातत्त्व के अनुसार ही आलोचना करनी पड़ती है । वायुपुराण आदि में राधा की जैसी आलोचना है, इस लेख में हम उसका अनुसरण न कर वैष्णवोचित भाव से ही कुछ चर्चा करते हैं । राधातत्त्व के इतिहास के संबंध में किसी दूसरे निबंध में आलोचना की जा सकती है …
Read More »चिट चोर मेरो माखन काए गयो री
चिट चोर मेरो माखन काए गयो री ओह कायो गयो री मुस्काये गयो री डेखो ओह हुमारे भिच मे लाला कनाईया अपनी पूरी माडाली के साथ आ गये चिट चोर मेरो माखन काए गयो री ओह कायो गयो री मुस्काये गयो री ओह कायो गयो री मुस्काये गयो री ओह चिट चोर मेरो माखन काए गयो री चिट चोर मेरो …
Read More »दशा मुझ दीन की भगवन संभालोगे तो क्या होगा
दशा मुझ दीन की भगवन संभालोगे तो क्या होगा | अगर चरणों की सेवा में लगा लोगे तो क्या होगा ||कि नामी पातकी मैं हूँ कि नामी पाप हर हो तुम | जो लज्जा दोनों नामों की बचा लोगे तो क्या होगा || दशा मुझ दीन की भगवन संभालोगे तो क्या होगा | जिन्होंने तुमको करुणा कर पतित पावन बनाया …
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