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Tag Archives: shankar

हे शिवशंकर नटराजा

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

निसदिन करता मैं नाम जपन तेरा, शिव शिव शिव शिव गुंजत मन मोरा । तुम हो मरे प्रभु, तुम ही कृपालु, करूँ समर्पण दीन दयालु ॥ तोरी जटा से बहती पवित्रता, तीन्ही लोको के तुम हो दाता । डमरू बजाया, तमस भगाया, जड़ चेतन को तुम्ही ने जगाया ॥ अलख निरंजन शिव मोरे स्वामी, तुम ही हो मेरे अंतरयामी । …

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चिकित्सकों के चिकित्सक भगवान शिव

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

भगवान रुद्र ने ओषधियों का निर्माण करके जगत का इतना कल्याण किया है कि वेद ने भी भगवान शंकर सम्पूर्ण शरीर को ही भेषज मान लिया है । कहा है कि – या ते रुद्र शिवा तनू शिवा विश्वस्य भेषजी । शिवा रुद्रस्य भेषजी तया नो मृड जीवसे ।। सचमुच आयुर्वेद भगवान शिव के रूप में ही अभिव्यक्त हुआ था, …

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भगवान शिव

anupam roop neelamani ko ree

शैवागम में रुद्र के सातवें स्वरूप को शिव कहा गया है । शिव शब्द नित्य विज्ञानानंदघन परमात्मा का वाचक है । इसलिए शैवागम भगवान शिव को गायत्री के द्वारा प्रतिपाद्य एवं एकाक्षर ओंकार का वाच्यार्थ मानता है । शिव शब्द की उत्पत्ति ‘वश कान्तौ’ धातु से हुई है, जिसका तात्पर्य यह है कि जिसको सब चाहते हैं, उसका नाम शिव …

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भगवान शिव का अवधूतेश्वरावतार

Avdhuteshwar incarnation of Lord Shiva

एक बार देवराज इंद्र देवताओं और बृहस्पति के साथ भगवान शिव का दर्शन करने के लिए कैलाश परिवत पर गए । उस समय बृहस्पति और इंद्र के आगमन कू बात जानकर भगवान शंकर उनकी परीक्षा लेने के लिए अवधूत बन गए । उनके शरीर पर कोई वस्त्र नहीं था । वे प्रज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी होने के कारण महाभयंकर …

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भगवान शिव का भिक्षुवर्यावतार

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

विदर्भ देश में एक सत्यरथ नाम से प्रसिद्ध राजा थे । धर्मपूर्वक प्रजा का पालन करते हुए उनका बहुत सा समय सुखपूर्वक बीत गया । तदंनतर एक दिन शाल्व देश के राजा ने उनकी राजधानीपर आक्रमण कर दिया । शत्रुओं के साथ युद्ध करते हुए राजा सत्यरथ की सेना नष्ट हो गयी । फिल दैवयोग से राजा भी शत्रुओं के …

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प्रतिशोध ठीक नहीं होता

बालक पिप्पलाद ने जब होश संभाला, तब औषधियों को अपने अभिभावक के रूप में देखा । वृक्ष फल देते थे, पक्षी दाने लाते थे और मृग हरी वस्तुएं । ओषधियां अपने राजा सोम से मांगकर अमृत की घूंटें पिप्पलाद को पिलाया करती थीं । यह दृश्य देखकर पिप्पलाद ने वृक्षों से पूछा – ‘देखा यह जाता है कि मनुष्य माता …

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नल दमयंती के पूर्व जन्म का वृतांत

Bhagwan Shiv Ke liye

पूर्वकाल में आबू पर्वत के समीप एक आहुक नामक भील रहता था । उसकी पत्नी का नाम आहुजा था । वह बड़ी पतिव्रता तथा धर्मशीला थी । वे दंपत्ति बड़े शिवभक्त एवं अतिथि सेवक थे । एक बार भगवान शंकर ने इनकी परीक्षा लेने का विचार किया । वे एक यतिका रूप धारण करके संध्या समय आहुक के दरवाजे पर …

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गंगावतार – भगवान शिव के अवतार

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

पूर्वकाल में अयोध्या में सगर नामक एक परम प्रतापी राजा राज्य करते थे । उनके एक रानी से एक तथा दूसरी से साठ हजार पुत्र उत्पन्न हुए । कुछ काल के बाद महाराज सगर के मन में अश्वमेध – यज्ञ करने की इच्छा हुई । राजा सगरने यज्ञीय अश्व की रक्षा का बार अपने पौत्र अंशुमान को सौंपकर यज्ञ प्रारंभ …

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श्रीकृष्ण और भावी जगत

vyarth hai moh ka bandhan

  मनुष्य को आदि से सुख और शांति की खोज रही है और अंत तक रहेगी । मानव सभ्यता का इतिहास इसी खोज की कथा है । किस जाति ने इस रहस्य को जितना अधिक समझा वह उतनी ही सभ्य, जितना ही कम समझा उतनी ही असभ्य समझी जाती है । लोग भिन्न – भिन्न मार्गों से चले । किसी …

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भगवान शिव का हरिहरात्मक रूप

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

एक बार सभी देवता भगवान विष्णु के पास गये और उन्हें नमस्कार करने के बाद संपूर्ण जगत के अशांत होने का कारण पूछा । देवताओं के प्रश्न करने पर भगवान विष्णु ने कहा – ‘देवताओं ! हम तुम्हारे इस प्रश्न का यथोचित उत्तर नहीं दे सकते । हम सभी लोगों को एक साथ मिलकर भगवान शंकर के पास चलना चाहिए …

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