भगवान व्यास सभी जीवों की गति तथा भाषा को समझते थे । एक बार जब वे कहीं जा रहे थे तब रास्ते में उन्होंने एक कीड़े को बड़े वेग से भागते हुए देखा । उन्होंने कृपा करके कीड़े की बोली में ही उससे इस प्रकार भागने का कारण पूछा । कीड़े ने कहा – ‘विश्ववंध मुनीश्वर ! कोई बहुत बड़ी …
Read More »Tag Archives: smaran
भगवान की न्यायकारिता एवं दयालुता
भगवान दयालु हैं या न्यायकारी हैं । हम तो यह मानते हैं कि वे दयालु भी हैं, न्यायकारी भी हैं । दो बात एक जगह कैसे रह सकती है ? मनुष्य में भी रह सकती है, फिर भगवान में रहनी कौन कठिन बात है । जब न्याय ही करते हैं, कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं तब दया क्या …
Read More »सौरधर्म का वर्णन
राजा शतानीक ने पूछा – मुने ! भगवान सूर्य का माहात्म्य कीर्तिवर्धक और सभी पापों का नाशक है । मैंने भगवान सूर्यनारायण के समान लोक में किसी अन्य देवता को नहीं देखा । जो बरण – पोषम और संहार भी करनेवाले हैं वे भगवान सूर्य किस प्रकार प्रसन्न होते हैं, उस धर्म को आप अच्छी तरह जानते हैं । मैंने …
Read More »शिक्षाप्रद कहानियां- आत्म संतोष का गुण
एक गांव में एक गरीब आदमी रहता था। वह बहुत मेहनत करता, किंतु फिर भी वह धन न कमा पाता। इस प्रकार उसके दिन बड़ी मुश्किल से बीत रहे थे। कई बार तो ऐसा हो जाता कि उसे कई कई दिनों तक सिर्फ एक वक्त का खाना खाकर ही गुजारा करना पड़ता। इस मुसीबत से छुटकारा पाने का कोई उपाय …
Read More »