सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम | भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल ना रहा था सहारा | लहरों से लगी हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा | इस लडखडाती हुई नव को …
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तेरे दरबार पे दामन यह फैला रखा है
दोहा: मांग मांग इंसान की, तमन्ना पूरी होए | साईं जी के द्वार से खाली गया न कोय || तेरे दरबार पे दामन यह फैला रखा है | इक तेरे आस पे दुनिया को भुला रखा है || मेरी बिगड़ी हुई तकदीर सवारी तूने | मेरी डूबी हुई कश्ती भी उभारी तूने || तेरी उठी को तभी माथे लगा रखा …
Read More »तेरे दरबार में झुकता है साईं सर मेरा
तेरे दरबार में झुकता है साईं सर मेरा । तेरे लिए जान भी हाजिर है, सर क्या हैं मेरा ॥ तेरी रहमत, तेरी रज़ा है तकदीर मेरी । तेरी इबादत से पलतीं हैं लकीरें मेरी । रुख फिज़ा का बदल जाता हो इशारा तेरा ॥ तेरी राहो में है मंजिल साईं मेरी । मुडती जैसे हैं ये राहें वैसे किस्मत …
Read More »साईं शरण में आओगे तो समझोगे यह बात
साईं शरण में आओगे तो समझोगे यह बात, रात के पीछे दिन आवे है, दिन के पीछे रात । कौन खिलाये फूल चमन में, क्यों मुरझाए फूल की पाती, क्यों चमके है बन में दीपक, कौन बुझाए जलती बाती । साईं शरण में आओगे… कौन बिछाए सुख का बिस्तर कौन ओढ़ाए दुःख की चादर, क्यों होवे पत्थर की पूजा, कौन …
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