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Tag Archives: tyaag

सत् – असत् का ज्ञान

saeen kee nagariya jaana hai re bande

सत् – असत् का विवेक मनुष्य अगर अपने शरीर पर करता है तो वह साधक होता है और संसार पर करता है तो विद्वान होता है । अपने को अलग रखते हुए संसार में सत् – असत् का विवेक करने वाला मनुष्य वाचक (सीखा हुआ) ज्ञानी तो बन जाता है, पर उसको अनुभव नहीं हो सकता । परंतु अपनी देह …

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आदर्श भक्त

aadarsh bhakt

उशीनर – पुत्र हरिभक्त महाराज शिबि बड़े ही दयालु और शरणागतवत्सल थे । एक समय राजा एक महान यज्ञ कर रहे थे । इतने में भय से कांपता हुआ एक कबूतर राजा के पास आया और उनकी गोद में छिप गया । इतने में ही उसके पीछे उड़ता हुआ एक विशाल बाज वहां आया और वह मनुष्य की सी भाषा …

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उपदेशप्रद कहानी: दान का रहस्य

daan

दान में महत्त्व है त्याग का, वस्तु के मूल्य या संख्या का नहीं। ऐसी त्यागबुद्धि से जो सुपात्र यानी जिस वस्तु का जिसके पास अभाव है, उसे वह वस्तु देना और उसमें किसी प्रकार की कामना न रखना उत्तम दान है। निष्काम भाव से किसी भूखे को भोजन और प्यासे को जल देना सात्त्विक दान है। संत श्रीएकनाथजी की कथा …

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