भगवान श्रीरामचंद्र जी ऐसे शरणागतवत्सल हैं कि जो जीव एक बार भी सच्चे हृदय से उनके शरणागत हो गया, उसके वचन और कर्तव्य की चूक पर फिर कभी दृष्टि न देकर वे केवल उसके ‘हिए’ के निश्चय की ओर ही देखते हैं । वे कतहते हैं कि ‘इस जीवन ने अनन्य गति से मुझको अपना शरण्य निश्चय कर लिया है, …
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शरण श्याम की लेले, तेरे मिट जाए सारे झमेले
शरण श्याम की लेले, तेरे मिट जाए सारे झमेले, कलियुग मे देव निराला, मेरा बाबा ख़ातुवला, दो घुट नाम की पीले, तेरे मिट जाए सारे झमेले, शरण श्याम की लेले, तेरे मिट जाए सारे झमेले, देव दयालु श्याम हमारा, शरणागत को तुरंत उबारा, देव दयालु श्याम हमारा, शरणागत को तुरंत उबारा, बाबा की राह पाकर ले, तेरे मिट जाए सारे …
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