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Tag Archives: vandana

सिंहासन बत्तीसी की छब्बीसवीं कहानी – मृगनयनी पुतली की कथा!!

पच्चीवीं पुतली के द्वारा राज भोज महाराज विक्रमादित्य के गुणों को जानकर हर्षित हुए और उस स्थान से अपने महल की ओर रवाना हो गए। लेकिन अगल दिन फिर से उन्हें सिंहासन और महाराज विक्रमादित्य के गुणों का आकर्षण खींच लाया। जैसे ही राजा भोज सिंहासन की ओर बढ़े कि छब्बीसवीं पुतली मृगनयनी प्रकट हो गई। उसने राजा भोजा को …

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सुख करता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची

sukh karata dukhaharta vaarta vighnaachee

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची कंठी झलके माल मुकताफळांची जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति जय देव जय देव रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा चंदनाची उटी कुमकुम केशरा हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति …

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गायत्री मंत्र एवं गायत्री वंदन

Mat Ang Chola Saje Har Rang Chola Saje

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ चार वेद ली मातु पुनीता, तुम ब्रह्माणी गौरी सीता महामंत्र जितने जग माहि, कोऊ गायत्री सम नाहिं ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ शाश्वत सतोगुणी माँ सतरूपा सत्य सनातन सुधा अनूपा हंसारूढ़ श्वेराम्बरधारी स्वर्ण कांटी शुचि गंगन बिहारी ॐ भूर्भुवः …

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ओ माँ हमे अपने चरणों से लगा ले जीण माता भजन

Hajriyan Parwan Karo Maa Hajriyan Bhajan

मेरे मन की वंदना…माँ तू ही, मेरे दिल की अर्चना…माँ तू ही, सच्ची आराधना…माँ तू ही, जीवन की कामना….माँ तू ही, जिस दिन से आये तेरे शरण खुशियों से महका ये जीवन, जनमो जनम तेरे हैं हम,अब तू ही हमे संभाले, ओ माँ हमे अपने चरणों से लगा ले,हमको अपना बना ले, हमको चरणों से लगा ले…. हमको तेरा ही …

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मेरे बस में तो बस उनकी आराधना

मेरे बस में तो बस उनकी आराधना बाकी बातें पवनसुत को है सोचना मेरे बस में… जिसको हनुमानजी का सहारा मिला मन मुताबिक उसे हर नज़ारा मिला ज्ञात है उनको मेरी मनोकामना बाकी बातें पवनसुत को है सोचना जग में हनुमत का गुणगान यूँ ही नहीं राम मन्दिर में हनुमान यूँ ही नहीं दिल से हनुमान जी की करें साधना …

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बुधवार को करें भगवान गणेश की पूजा!

mhaara keertan me ras barasao

श्री गणेश को सभी दुखों का पालनहार माना जाता है। गणेश जी को भौतिक, दैहिक और अध्यात्मिक कामनाओं के सिद्धि के लिए सबसे पहले पूजा जाता है। वे भक्तों की बाधा, संकट, रोग-दोष तथा दरिद्रता को दूर करते हैं। इसलिए इन्हें गणाध्यक्ष और मंगलमूर्ति कहा जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि श्री गणेश जी विशेष पूजा का …

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द्‍याना प्रेयर

Krishna

बारहा पीदाम नटवर वपु, करयू करी करम बिबरधा वाडम कनाका कपिशाम, विजयंतिछा मलम रंद्ररा वेणु राधाया सुधया, पुरानयान गोपा वृंडाई व्रडारन्यम स्वपाड़ा रामनाम, प्रविशद गीता कीर्ति याँ रब राजन्तु मनपेठु, द्वापायनो वीरकातुरा यातु . द्वापायनो वीरकातुरा यातु यवा पुत्रेती तन मयता ताराव वेदेना ताम सर्वा भोथा हृदयाँ मुनि मनटोस्मि गोपाल बलम भुवाणिका पालम, संसरा माया मति मोहि जलां यशो विशालम …

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महाष्टमी

durga

( दुर्गोत्सवभक्तितरङ्गिणी, देवीपुराणादि ) – आश्विनी शुक्ल अष्टमीको देवीकी उपासनाके अनेक अनुष्ठान होते हैं, इस कारण यह महाष्टमी मानी जाती है । इसमें सप्तमीका वेध वर्जित और नवमीका ग्राह्य होता है । इस दिन देवी शक्ति धारण करती हैं और नवमीको पूजा समाप्त होती है; अतएव सप्तमीवेधसंयुक्त महाष्टमीको पूजनादि करनेसे पुत्र, स्त्री और धनकी हानि होती है । यदि अष्टमी …

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