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Tag Archives: ved

त्रिपुरुष – विज्ञान

sansaaree - vyavasaayee mein bhed

भगवान कृष्ण ने भगवद्गीता में अपने – आपको अव्यय आत्मा कहा है । इसी अव्ययात्म – स्वरूप का विशेषरूप से स्पष्टीकरण है – लोक में दो पुरुष हैं – एक क्षर, दूसरा अक्षर । इंद्रियों से जो जाने जाते हैं वे सब भूत क्षर हैं, उनमें कूटस्थ – नित्यरूप से रहने वाला – विकृत न होने वाला पुरुष अक्षर कहा …

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विपुलस्वान मुनि और उनके पुत्रों की कथा

vipul svaan muni aur unake putron kee katha

द्वापर युग की बात है मंदनपाल नाम का एक पक्षी था । उसके चार पुत्र थे, जो बड़े बुद्धिमान थे । उनमें द्रोण सबसे छोटा था । वह बड़ा धर्मात्मा और वेद – वेदांग में पारंगत था । उसने कंधर की अनुमति से उसकी पुत्री तार्क्षी से विवाह किया । कुछ समय बाद तार्क्षी गर्भवती हुई और साढ़े तीन मास …

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महर्षि सौभरि की जीवन गाथा

Meh Rishi Sobheri Ki Jeevan Gatha Story

वासना का राज्य अखण्ड है । वासना का विराम नहीं । फल मिलने पर यदि एक वासना को हम समाप्त करने में समर्थ भी होते हैं तो न जाने कहां से दूसरी और उससे भी प्रबलतर वासनाएं पनप जाती हैं । प्रबल कारणों से कतिपय वासनाएं कुछ काल के लिये लुप्त हो जाती हैं, परंतु किसी उत्तेजक कारण के आते …

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कुछ ना भेद रहा मान मन मे

raam naam lau laagee

हे गुरु तुम हो मेरे निधन वेद पूरण है तुज़मे समाए रामायण है तेरा सार गीता में तो शब्ध टुमरे महाभारत में तेरा ज्ञान कुछ… ये संसार तुम ही रचाए लेवत तुम हो सबका भर करम धरम सब तेरे अर्पण कैसे करूँ में तेरा बयान कुछ… [To English wish4me] Hey Guru tum ho mere Nidhan Ved puran hai Tujme samaye …

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