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Tag Archives: yudhishthir

स्वधर्म पर दृढ़ रहने से प्राप्त होते हैं सुपरिणाम

svadharm par drdh rahane se praapt hote hain suparinaam

एक दिन वन में प्यास से व्याकुल हो भीम, अर्जुन, नकुल, और सहदेव पानी की तलाश में एक सरोवर पर पहुंचे, किंतु जैसे ही उन्होंने पानी पिया, तत्क्षण चारों की मृत्यु हो गयी। इधर युधिष्ठिर उन्हें खोजने के लिए निकले, तो चारों को सरोवर के किनारे मृत अवस्था में देखकर अत्यधिक दु:खी हुए। हताश युधिष्ठिर काफी देर तक शोकमग्न अवस्था …

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सबसे बड़ा दान क्या है ?

sabase bada daan kya hai ?

यज्ञ में युधिष्ठिर से प्रश्न किया गया ‘श्रेष्ठ दान क्या है’ ? इस पर युधिष्ठिर ने उत्तर दिया, ‘जो सत्पात्र को दिया जाएं । जो प्राप्त दान को श्रेष्ठ कार्य में लगा सके, उसी सत्पात्र को दिया दान श्रेष्ठ होता है । वहीं पुण्यफल देने में समर्थ है ।’ कर्ण ने अपने कवज का शिवि ने अपने मांस का, जीमूतवाहन …

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श्रीकृष्ण अवतार

Maiya Yashoda Jb Kahe Makhan chor hai gaval Story

  श्रीकृष्णावतार – प्रभु का साक्षात स्वरूप यह ईश्वर और अवतार का रहस्य दृष्टि में रखकर अब भगवान श्रीकृष्ण के चरित्रों की आलोचना कीजिए, तो स्फुटरूप से भासित हो जाएंगा कि वे ‘पूर्णावतार’ हैं । दुराग्रह छोड़ दिया जाएं तो विवश होकर कहना ही पड़ेगा कि ‘कृष्णस्तु भगवान्स्वयम्’ (श्रीकृष्ण साक्षात् भगवान – परब्रह्म परमेश्वर हैं ) । पहले बुद्धि के …

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भुवनकोश का संक्षिप्त वर्णन

Bhuvankosh Ka Sanshipt varnan

महाराज युधिष्ठिर ने पूछा – भगवन् ! यह जगत किसमें प्रतिष्ठित है ? कहां से उत्पन्न होता है ? इसका किसमें लय होता है ? इस विश्व का हेतु क्या है ? पृथ्वी पर कितने द्वीप, समुद्र तथा कुलाचल हैं ? पृथ्वी का कितना प्रमाण है ? कितने भुवन हैं ? इन सबका आप वर्णन करें । भगवान श्रीकृष्ण ने …

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नारद जी को विष्णु माया का दर्शन

maanas se : navadha bhakti

राजा युधिष्ठिर ने पूछा – भगवन् ! यह विष्णु भगवान की माया किस प्रकार की है ? जो इस चराचर जगत को व्यामोहित करती है । भगवान श्रीकृष्ण ने कहा – महाराज ! किसी समय नारद मुनि श्वेतद्वीप में नारायण का दर्शन करने के लिये गये । वहां श्रीनारायण का दर्शन कर और उन्हें प्रसन्न मुद्रा में देखकर उनसे जिज्ञासा …

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विनम्रता का फल

Vinamrta Ka Fl Story

महाभारत की एक कथा है। धर्मयुद्ध अपने अंतिम चरण में था। भीष्म पितामह शैय्या पर लेटे हुए अपने जीवन के आखिरी क्षण गिन रहे थे। उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला हुआ था और वे सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। धर्मराज युधिष्ठिर जानते थे कि पितामह ज्ञान और जीवन संबंधित अनुभव से संपन्न हैं। …

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महाभारत का कारण

Mahaabhaarat kaa kaaraṇa

एक समय राजाधिराज युधिष्ठिर अपने भाइयों सहित श्रीकृष्ण के साथ मयदानव द्वारा बनाई सभा में स्वर्ण सिंहासन पर देवराज इन्द्र के समान विराजमान थे। मयदानव निर्मित भवन में दुर्योधन को जल-स्थल का भान नहीं हुआ और दुर्योधन गिर पड़े। इस पर भीम ने हास्य-व्यंग्य किया जिससे की दुर्योधन ने अपमानित महसूस किया। इस प्रसंग पर लोग कहते हैं कि दुर्योधन …

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क्या मरना भी मुहूर्त में ही?

Agar shyam ksunder ka shera na hota

मुहूर्त विज्ञान उपक्रम मे इस बात का उदाहण मिलता है कि यदि मरने का मुहूर्त नहीं बनता था तो वे लोग अपना मरना भी स्थगित कर देते थे। आर्य जाति के गौरवपूर्ण इतिहास ग्रंथ में वर्णन आता है कि महाभारत के संग्राम के समय जब नौ दिन में ही भीष्मजी द्वारा कौरव सेना का संचालन करते हुए पांडवों की आधी …

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