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छत्रपति शिवाजी के जीवन के तीन प्रेरणादायक प्रसंग –

19th Feb को शिवाजी जयंती है इस शुभ अवसर पर मैं आपके साथ उनके जीवन के तीन प्रेरणादायक प्रसंग साझा कर रहा हूँ. आइये हम भारत वर्ष के इस वीर सपूत को नमन करें और उनके जीवन से शिक्षा ले भारत माता की सेवा में अग्रसर हों.

प्रसंग १:

शिवाजी के समक्ष एक बार उनके सैनिक किसी गाँव के मुखिया को पकड़ कर ले लाये . मुखिया बड़ी-घनी मूछों वाला बड़ा ही रसूखदार व्यक्ति था, पर आज उसपर एक विधवा की इज्जत लूटने का आरोप साबित हो चुका था. उस समय शिवाजी मात्र १४ वर्ष के थे, पर वह बड़े ही बहादुर, निडर और न्याय प्रिय थे और विशेषकर महिलाओं के प्रति उनके मन में असीम सम्मान था.
उन्होंने तत्काल अपना निर्णय सुना दिया , ” इसके दोनों हाथ , और पैर काट दो , ऐसे जघन्य अपराध के लिए इससे कम कोई सजा नहीं हो सकती .”
शिवाजी जीवन पर्यन्त साहसिक कार्य करते रहे और गरीब, बेसहारा लोगों को हमेशा प्रेम और सम्मान देते रहे.

प्रसंग २:

शिवाजी के साहस का एक और किस्सा प्रसिद्द है . तब पुणे के करीब नचनी गाँव में एक भयानक चीते का आतंक छाया हुआ था . वह अचानक ही कहीं से हमला करता था और जंगल में ओझल हो जाता. डरे हुए गाँव वाले अपनी समस्या लेकर शिवाजी के पास पहुंचे .

” हमें उस भयानक चीते से बचाइए . वह ना जाने कितने बच्चों को मार चुका है , ज्यादातर वह तब हमला करता है जब हम सब सो रहे होते हैं.”

 शिवाजी ने धैर्यपूर्वक ग्रामीणों को सुना , ” आप लोग चिंता मत करिए , मैं यहाँ आपकी मदद करने के लिए ही हूँ .”

शिवाजी अपने सिपाहियों यसजी और कुछ सैनिकों के साथ जंगल में चीते को मारने के लिए निकल पड़े . बहुत ढूँढने के बाद जैसे ही वह सामने आया , सैनिक डर कर पीछे हट गए , पर शिवाजी और यसजी बिना डरे उसपर टूट पड़े और पलक झपकते ही उस मार गिराया. गाँव वाले खुश हो गए और “जय शिवाजी ” के नारे लगाने लगे.

प्रसंग ३ :

शिवाजी के पिता का नाम शाहजी था . वह अक्सर युद्ध लड़ने के लिए घर से दूर रहते थे. इसलिए उन्हें शिवाजी के निडर और पराक्रमी होने का अधिक ज्ञान नहीं था. किसी अवसर पर वह शिवाजी को बीजापुर के सुलतान के दरबार में ले गए . शाहजी ने तीन बार झुककर सुलतान को सलाम किया, और शिवाजी से भी ऐसा ही करने को कहा . लेकिन , शिवाजी अपना सर ऊपर उठाये सीधे खड़े रहे . विदेशी शासक के सामने वह किसी भी कीमत पर सर झुकाने को तैयार नहीं हुए. और शेर की तरह शान से चलते हुए दरबार से वापस चले गए.

   Hindi to English

Shivaji Jayanti is on 19th February On this auspicious occasion, I am sharing with you three inspirational themes of his life. Let us bow down to this heroic saint of India and take education from their life and move forward in the service of Mother India.

Theme 1:

Once in front of Shivaji, his soldiers grabbed the head of a village and took them. The chief was a very big man with big-shouldered mustache, but today he had been accused of robbing a widow’s respect. Shivaji was only 14 years old at that time, but he was very brave, fearless and justice loved and especially he had immense respect for women.
He immediately heard his decision, “Cut both his hands and feet, there is no less punishment for such a heinous crime.”
Shivaji continued to do adventure throughout life and always kept love and respect for poor, destitute people.

Theme 2:

Another story of Shivaji’s courage is famous. Then there was a horror of a terrible leopard in the village of Nachani near Pune. He suddenly attacked from somewhere and disappeared in the forest. The scared villagers came to Shivaji with their problems.

“Save us from that terrible cheat. He does not know how many children have been killed, mostly he attacks when we are all sleeping. ”

Shivaji patiently patiently heard the villagers, “You people do not worry, I am here to help you.”
Shivaji went out to kill a leopard in the jungle with his soldiers and some soldiers. After finding a lot of them, as soon as they came out, the soldiers turned back after being scared, but Shivaji and Yasji frightened without fear and struck him with a blink. The villagers were happy and started shouting “Jai Shivaji”.

Theme 3:

Shivaji’s father’s name was Shahaji. He often used to stay away from home to fight the war. Therefore, they did not have much knowledge about Shivaji’s being fearless and mighty. On some occasion, he took Shivaji to the court of Sultan of Bijapur. Shahaji bowed three times and bowed down to Sultan, and asked Shivaji to do the same. But, Shivaji stood upright standing up his head. In front of a foreign ruler, he was not ready to bow down at any cost. Like the lions, they went back from the court walking gracefully.

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khilji

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