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ये जाग दुख का मेला है

Ye Jag Dukh Ka Mela Hai Bhajan

ये जाग दुख का मेला है
चाहे बीड़ बहुत अंबार पर
उड़ाना टुजे अकेला है ||1||
चतुर शिकारी ने रखा है
जाल बिछाकर पग पग पर
फस मत जाना भोल से पगले
पछताएगा जीवन बार ||2||
लोग मे धने की मत पड़ना
बड़े समय केला है
चाहे बीड़ बहुत अंबार पर
उड़ाना टुजे अकेला है ||3||
जब तक सूरज आसमान पर
बदाता चल तू चलता चल
फिर जाएगा अंडाकार जब
बड़ा कातीं होगा फल फल ||4||
किसी पता के उड़ चल ने
आजता कब बेला है
चाहे बीड़ बहुत अंबार पर
उड़ाना टुजे अकेला है ||5||


 

ye jaag dukh ka mela hai
chaahe beed bahut ambaar par
udaana tuje akela hai ||1||
chatur shikaaree ne rakha hai
jaal bichhaakar pag pag par
phas mat jaana bhol se pagale
pachhataega jeevan baar ||2||
log me dhane kee mat padana
bade samay kela hai
chaahe beed bahut ambaar par
udaana tuje akela hai ||3||
jab tak sooraj aasamaan par
badaata chal too chalata chal
phir jaega andaakaar jab
bada kaateen hoga phal phal ||4||
kisee pata ke ud chal ne
aajata kab bela hai
chaahe beed bahut ambaar par
udaana tuje akela hai ||

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