जीवन बिताया सारा, इंतज़ार करते करते रह रहके मेरे दिल्मे, उट थी है ये तरंगे हे दिल मे मेरे केवल..तेरे मिलने की उमंगे कभी आभी जाऊ प्रीतम, मूही राह चलते चलते डेको मे ना समाज हू, पकड़ा है तेरा धमान कहा . छोड़कर आब, मेरे रंगिल्ले साजन ना साथ छोड़ ढेंा, मेरे साथ चलते चलते मुझे हार्गदी और हरफल, घ्हन्ष्यम …
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बिना तुमहरे दर्शन के प्रभु
एह जीवन है आज अधूरा मिले टुमरे चरण धूलि प्रभु तो जीवन का, धर्मा हो पूरा एह जनमा तो, ऐसा बिता जैसे चटक, बिन बदल हो –आकिया साधा रही, प्रभु आइसो जैसे सुनी, बिन काजल हो भक्ति बिना है, जीवन आइसो बिना तार के, जस तंबूरा || दर्शन करने को, आकिया है बिन दर्शन के, आकिया कैसी –हरी के द्वार, …
Read More »बिन दर्शन के, आकिया कैसी
बिना तुम्हारे दर्शन के प्रभु ये जीवन है आज अधूरा मिले तुम्हारी चरण धूलि प्रभु तो जीवन का धर्म हो पूरा ये जन्मा तो ऐसा बीता जैसे चातक बिन बादल हो अँखियाँ सदा रही प्रभु ऐसों जैसे सूनी बिन काजल हो भक्ति बिना है जीवन ऐसो बिना तार के जैसे तम्बूरा बिना तुम्हारे दर्शन के प्रभु ये जीवन है आज …
Read More »अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो,
अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो, के द्वार पे सुदामा ग़रीब आगेया है. के द्वार पे सुदामा ग़रीब आगेया है. भटकते भटकते ना जाने कहा से, भटकते भटकते ना जाने कहा से, तुम्हारे महल के करीब आगेया है. तुम्हारे महल के करीब आगेया है. ऊओ…अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो, के द्वार पे सुदामा ग़रीब आगेया है. के द्वार पे …
Read More »मुरलीधर गोपाला घनश्याम नंद के लाला
मुरलीधर गोपाला घनश्याम नंद के लाला जाग पालक तू रास रचाइया, गोवर्धन गिरिधारी कितने नाम तेरे नटवर तू सावल कृष्णा मुरारी मोर मुकुट मन्हार लेवात बलिहारी हर ब्रिज बाला मुरली धार गोपाला, घनश्याम नँदके लाला ||1|| तूही सागर मे रमता तूही धरती पाताल ज़ल्मे नाभमए और जगतमे तेरी जाई जाई कार मेरे मान मंदिर मे स्वामी, तुझसे ही उजियला मुरली …
Read More »भगवान शिव के लिए माता पार्वती ने किया था घोर तप
शिवपुराण में कथा है कि ब्रह्माजी के आदेशानुसार भगवान शंकर को वरण करने के लिए पार्वती ने कठोर तप किया था। ब्रह्मा के आदेशोपरांत महर्षि नारद ने पार्वती को पंचाक्षर मंत्र ‘शिवाय नमः’ की दीक्षा दी। दीक्षा लेकर पार्वती सखियों के साथ तपोवन में जाकर कठोर तपस्या करने लगीं। उनके कठोर तप का वर्णन शिवपुराण में आया है। माता-पिता की …
Read More »वेदवती का रावण को श्राप
राजा धर्मद्वज का कुशध्वज नामक एक धर्मात्मा भाई था। उसका विवाह मालावती नामक युवती से हुआ। धर्मध्वज के भांति कुशध्वज भी भगवती जगदम्बा का अनन्य भक्त था। वह प्रतिदिन उनके मायाबीज मंत्र का जाप करता था। भगवती कि कृपा से कुशध्वज के घर एक सुन्दर कन्या उत्पन्न हुई। वह कन्या महालक्ष्मी का अंश थी। जन्म लेते ही वह कन्या …
Read More »भक्ति की अद्भुत पराकाष्ठा की मिसाल भगवान हनुमान
लंका मे रावण को परास्त करने के बाद श्रीराम माता सीता लक्ष्मण और हनुमान के साथ अयोध्या लौट चुके थे। प्रभु राम के आने की खुशी में पूरे अयोध्या में हर्षोल्लास का माहौल था। राजमहल में राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही थी। राज्याभिषेक के बाद जब लोगों को उपहार बांटे जा रहे थे तभी माता सीता ने हनुमान जी से …
Read More »माता सीता के स्वयंवर की कथा
सीता के स्वयंवर की कथा वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस के बालकांड सहित सभी रामकथाओं में मिलती है। वाल्मीकि रामायण में जनक द्वारा सीता के लिए वीर्य शुल्क का संबोधन मिलता है। जिसका अर्थ है राजा जनक ने यह निश्चय किया था कि जो व्यक्ति अपने पराक्रम के प्रदर्शन रूपी शुल्क को देने में समर्थ होगा, वही सीता से …
Read More »कच्छपावतार
पुराने समय की बात है। देवताओं और राक्षसों में आपसी मतभेद के कारण शत्रुता बढ़ गयी। आये दिन दोनों पक्षों में युद्ध होता रहता था । एक दिन राक्षसो के आक्रमण से सभी देवता भयभीत हो गए और ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी के परामर्श के बाद वे जगद्गुरु की शरण में जाकर प्रार्थना करने लगे। देवताओं की …
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