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प्राकृतिक आपदाओं के कारण

‘क्रिया के विरुद्ध प्रतिक्रिया’ यह प्राकृतिक अटल नियम

‘क्रिया के विरुद्ध प्रतिक्रिया’, यह प्राकृतिक अटल नियम है । नास्तिक तथा अधर्मी लोगों की पाशवी क्रूरता प्रकृति को प्रतिशोध लेने के लिए बाध्य करती है । इस नियम को, वैज्ञानिक पीटर टोम्पकिन्स एवं क्रिस्टोफर बर्डने भी अपने ग्रन्थ, ‘वृक्षों का गोपनीय जीवन’ में उत्तम ढंग से विश्लेषित कर सिद्ध किया है ।

प्रकृति प्रतिशोध ले रही है !

‘प्रकृतिका गला दबाकर उसे अपना रहस्य बताने के लिए बाध्य करनेवाले शास्त्रज्ञ, स्वार्थ के लिए मनमाना विध्वंस करनेवाले धर्महीन आधुनिक राक्षस ही हैं । आज प्रकृति प्रतिशोध ले रही है । मानव, प्रकृति का अविभाज्य अंग है । अतः, उसके लिए प्रकृतिपर आक्रमण कर पाना असंभव है ।

क्रौर्य, आसुरी वृत्ति, पशुवधगृह, हत्याकाण्ड एवं युद्ध का भूकम्प से अति निकट का सम्बन्ध

क्रौर्य, आसुरी वृत्ति, पशुवधगृह, हत्याकाण्ड एवं युद्धों का भूकम्प से अति निकट का सम्बन्ध है । यह क्रूरता, ये पशुवधगृह बंद हों, तो भूकम्प नहीं होंगे ।’ ऐसा निष्कर्ष आइन्स्टाइनके सिद्धान्त, `पीडा तरंग’ का भी है । `इटिमोलोजी ऑफ अर्थक्वेक्स’ ग्रंथ का भी यही निष्कर्ष है । पुण्यशीला भारत भू को सहस्त्रों वर्षतक भूकम्प अज्ञात था । अपवादस्वरूप ही कहीं भूकम्प हुआ होगा । किन्तु गत दस वर्ष में चार प्रलयकारी भूकम्प, चार चक्रवात एवं छह भीषण बाढ भारत भू ने देखा है ।

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आँगन को सुखद बनाने वाली सरिता जी ने अपने खराब अमरूद के पेड़ की सेवा करते हुए प्यार से बच्चों को पाला, जिससे उन्हें ना सिर्फ खुशी मिली, बल्कि एक दिन उस पेड़ ने उनकी जान बचाई। इस दिलचस्प कहानी में रिश्तों की महत्वपूर्णता को छूने का संदेश है।