एक बार की बात है, एक गांव में एक बहुत बड़ा सरोवर था और उस सरोवर के बीचो बीच एक खम्बा गड़ा हुआ। उस सरोवर में बहुत सारे मेंढक रहते थे और हर एक मेंढक कोशिश करता था उस खम्बे में चढ़ने की लेकिन सभी मेंढक बार-बार असफल हो जाते थे।
तभी मेंढको के दिमाग में आया क्यों न इस खम्बे में रेस करवाई जाए और इसमें देखते है की जीतेगा कौन? और यह बात दूर-दूर के सरोवर में भी फेल गई।
अचानक वह दिन भी आया जब वहां रेस होने वाली थी। खम्बे के ऊंचाई तक चढ़ना था और जो ऊंचाई तक चढ़ जाता वही उस रेस के विजेता होता मगर वह खम्बा बहुत चिकना था और चिकने होने की बजह से बार-बार जो भी मेंढक खम्बे पर चढ़ने का प्रयास करता तो बार-बार उससे गिर जाता।
जितने भी मेंढक दूर-दूर से आए हुए थे सभी ने इस खेल में हिस्सा लिया और चढ़ने की कोशिश में लग गए। धीरे-धीरे जब सभी मेंढक चढ़ने की कोशिश करते तो बार-बार चिकने होने की बजह से खम्बे से फिसल जाते और फिसलकर पानी में गिर जाते लेकिन जो भीड़ थी वह भी उन्हें डिमोटिवेट कर रही थी उत्साह देने के बजाई उन्हें और नेगेटिव कर रही थी की नहीं यह काम बहुत ही कठिन है इसमें चढ़ पाना बहुत ही मुश्किल है इसमें कोई नहीं चढ़ सकता है और इसे जितना तो न मुमकिन है क्यूंकि इतने चिकने खम्बे पर चढ़ पाना असंभव है मुझे नहीं लगता की कोई भी मेंढक इस खम्बे पर चढ़ पाएगा।
भीड़ में सभी मेंढक बार-बार यही कह रही थी। बहुत सारे मेंढक जो कोशिश कर रहे थे खम्बे पर बार-बार चढ़ने की वह सब निराश हो गए और अपनी कोशिश करना बंध कर देते है लेकिन तब भी दो तीन मेंढक ऐसे थे जो बार-बार कोशिश किए जा रहे थे और चढ़ते-चढ़ते जब कुछ देर ऊंचाई तक पहुंच जाते अचानक उनका पैर फिसल जाता और वह फिरसे पानी में गिर जाते लेकिन जो भीड़ थी तब भी उन्हें डिमोटिवेट कर रही थी वह सब बार-बार यही कह रही थी की “मैं कह रहा की तुम लोग उतर जाओ। चलो इस रेस को कोई नहीं जित सकता इस रेस को जितना असंभव है तभी मेंढको ने कोशिश करना बंध कर दिया और हार मानली।
इतने सारे मेंढको में से एक छोटा मेंढक भी था जो बार-बार कोशिश कर रहा था वह तब भी लगातार कोशिश किए जा रहा था और कोशिशे करते-करते अपने जोश और जूनून के साथ वह छोटा सा मेंढक चिकने खम्बे पर सबसे ऊंचाई पर पहुंच गया। यह देख जितने भी वहां खड़े हुए मेंढक थे वह सभी हैरान हो गए और जब छोटा मेंढक अपनी जीत की ख़ुशी लेकर खम्बे से निचे उतरा तो सभी मेंढको ने उसे घेर लिया और घेरने के बाद उससे पूछने लगे, “मेंढक तुम्हे इतनी शक्ति कैसे मिली? तुमने इतने कठिन काम को कैसे पूरा कर लिया। अच्छे अच्छे जो महान मेंढक थे वह इस काम को नहीं कर पाए फिर तुमने कैसे कर लिया?”
तभी पीछे से एक मेंढक की आवाज आई, “अरे तुम लोग उससे क्या पूछते हो वह तो बहरा है।”
यह कहानी हमारी जिंदगी में यह बात सिखाती है की की जब भी हम अपने लक्ष के लिए बढ़ते है तो लक्ष को पूरा कर पाना हमारे लिए आसान होता है लेकिन कई बार जब हम असफल होते है तो बहुत सारे लोग ऐसे होते है जो हमें यह कहते है की “तुम नहीं कर पाओगे, छोड़ दो तुमसे नहीं होगा और इस बजह से हम मान लेते है की सायद हम यह नहीं कर पाएंगे।”