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मूर्ख कौआ

एक पेड़ पर एक कौआ रहता था। उसे अपने काले पंख जरा भी अच्छे नहीं लगते थे। वह जब मोरों के सुंदर पंख देखता तो उसे अपने आप से नफरत होने लगती। वह सोचता, ‘काश, मैं भी इनकी तरह सुंदर होता।’

एक दिन उसे जंगल में कुछ मोरपंख बिखरे दिखाई दिए। उसने उन पंखों को उठाकर अपने पंखों के ऊपर लगा लिया। फिर वह कौओं के झुंड में पहुँचकर बोला, “तुम लोग कितने गंदे हो। मैं तो तुमसे बात भी नहीं कर सकता।”  

और वह वहाँ से उड़कर मोरों के झुंड में जाकर बैठ गया। मोरों ने जब मोर पंख लगाए हुए कौए को देखा तो उसकी हँसी उड़ाते हुए बोले, “इस कौए को देखो! बेचारा मोर बनना चाहता है। इसे सबक सिखाना चाहिए।”

यह कहकर उन्होंने कौए के सारे मोरपंख नोच लिए और उसे वहाँ से भगा दिया। वहाँ से कौआ अपने पुराने मित्रों के पास गया। पर उन्होंने भी उसे वहाँ से यह कहकर भगा दिया,”जाए, हमें तुम्हारी दोस्ती की जरूरत नहीं है।”

शिक्षा : अपनी कमियों को स्वीकार कर अपने गुणों को पहचानो ।

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