दीपिका विवाह के समय एक प्राइवेट कंपनी में काम करती थी, दीपिका की सास ने विवाह के समय स्पष्ट कह दिया था कि वह घर की सभी जिम्मेदारियों को निभाते हुए नौकरी कर सकती है।
विवाह के बाद दीपिका घर और ऑफिस दोनों में सामंजस्य बैठाने की पूरी कोशिश कर रही थी वह घर का काम निपटा कर राजीव के साथ ही ऑफिस के लिए निकल जाती। शाम को ऑफिस से आने के बाद वह घरेलू कामों में लग जाती । कभी-कभी सुबह देरी होने की वजह से राजीव थोड़ी बहुत उसकी मदद करवा देता परंतु राजीव की मां को यह सब बात बिल्कुल पसंद नहीं थी कि उनका बेटा घर का काम करें। वह दीपिका से और जल्दी उठने को कहती ।
एक दिन रात को दीपिका की तबीयत खराब होने की वजह से उसे उठने में देरी हो गई ऑफिस समय पर जाना था इसलिए राजीव रसोई में उसकी मदद कराने लगा कि जल्दी जल्दी काम निपटा कर वह दोनों ऑफिस चले जाएंगे। लेकिन अपने बेटे राजीव को रसोई में काम करता देख सासु मां को गुस्सा आ गया उन्होंने दीपिका से कहा! बहु हमें तुम्हारी नौकरी की आवश्यकता नहीं है, ऐसी नौकरी किस काम की कि मेरे बेटे को रसोई में काम करना पड़े।
मैंने विवाह के समय ही कह दिया था कि घर की सारी जिम्मेदारी तुम्हें ही उठानी पड़ेगी।
अब दीपिका से भी चुप नहीं रहा गया और उसने कह दिया मां जी आज सब तबीयत थोड़ी ठीक नहीं थी इसीलिए राजीव थोड़ी मदद करा रहे हैं। मां जी कहा तो आपने यह भी था कि आप मुझ में और राजीव में कभी कोई अंतर नहीं करेंगी दोनों को ‘एक नजर से’ देखेंगी। हम दोनों ही नौकरी करते हैं आपका हम दोनों के प्रति नजरिया एक जैसा होना चाहिए।
दीपिका की सास को उसकी गलती का एहसास हो गया था कि शायद दीपिका सही कह रही है, उसने फटाफट राजीव और दीपिका का टिफिन लगाने में मदद की और कहा कि शाम को दोनों जल्दी आना मैं तुम्हारा मनपसंद खाना तैयार रखूंगी।
एक नजर से देखना
स्व रचित रचना
मनीषा गुप्ता