एक बकरी जंगल में अपने सात बच्चों के साथ रहती थी। एक दिन बकरी बाहर जा रही थी इसलिए उसने बच्चों को दुष्ट भेड़िये से सावधान रहने को कहा।
जब माँ चली गई तब वह दुष्ट भेड़िया बकरी होने का ढोंग करके उनका दरवाज़ा खटखटाने लगा। लेकिन बच्चों ने दरवाज़ा नहीं खोला और कहा-“नहीं, तुम्हारी आवाज़ हमारी माँ जैसी नहीं है और तुम्हारे पंजे भी भयानक हैं।”
भेड़िये ने आटे से बकरी के जैसे पंजे बनवाए और उनको पहन कर उनके पास गया। इस बार बच्चों ने उस पर भरोसा कर दरवाज़ा खोल दिया।
अलमारी में छुपे एक बच्चे को छोड़कर भेड़िये ने सभी को खा लिया। जब माँ लौटी तब बचे हुए बच्चे ने सारी बात बताई। माँ भागकर भेड़िये के पास गई।
भेड़िया उस समय सो रहा था। बकरी ने उसका पेट काटकर अपने बच्चे निकाल लिए और उसमें पत्थर भरकर उसे सी दिया। जब भेड़िया उठकर पानी पीने गया तो अपने ही बोझ के कारण नदी में गिरकर मर गया। अब बकरी और उसके बच्चे खुशी-खुशी रहने लगे।