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मुड़ कर ना देखना

भाला फेंक कर मुड़ कर ना देखना आत्मविश्वास की पराकाष्ठा थी। वह जानता था के जिस स्टांस से भाला फेंका गया है और जिस एलिवेशन से भाला फेंका गया है …..85 मीटर पार जाना तो निश्चित है। इसलिये मुड़ कर थ्रो की ओर देखा भी नहीं।

इससे पहले यह आत्मविश्वास महाभारत में दिखा था जब अर्जुन ने मछली की आँख भेद कर उसकी ओर देखा भी नहीं था।

कुछ समय के लिये पदकों को एक किनारे रख दीजिये।

एक कन्या का आत्मविश्वास देखिये जो आस्ट्रेलिया जैसी विश्वस्तरीय टीम के विरुद्ध गोल पर खड़ी एक के बाद एक पेनल्टी स्ट्रोक का सामना करती रही परंतु एक बार भी बॉल को गोलपोस्ट के पार ना होने दिया।

उस पहलवान का आत्मविश्वास देखिये जिसने कुश्ती में अंकों से पिछड़ने के पश्चात निर्णय किया के कुश्ती जीतने के लिये विपक्षी पहलवान को चित्त कर दिया जाये….. एक दांव लगाया और विपक्षी पहलवान को चित्त कर कुश्ती जीत ली।

उस बॉक्सर का आत्मविश्वास देखिये जो चेहरे पर टांके लगवाये राष्ट्र की शान में बॉक्सिंग रिंग में अपने प्रतिद्वंद्वी से भिड़ गया।

उस महिला गोल्फर का आत्मविश्वास देखिये जो विश्व में 200’विं रैंक होने के बावजूद भी विश्व की शीर्ष रैंकिंग गोल्फर्स से भिड़ गयी और लगभग मेडल जीतने की कगार पर पहुंच गई।

एक आध मैच को छोड़ दें तो सिंधु का आत्मविश्वास देखने लायक था। सिंधु के हाव भाव ….बॉडी लैंग्वेज इतनी सशस्क्त थी के विपक्षी खेल से पहले ही हथियार डाल रहे थे।

आज बजरंग क्या गज्जब कांफिडेंस से लड़ा। वाकई देख कर लगा के कोई विश्वस्तरीय पहलवान अखाड़े में उतरा है।

बदलते भारत के इन चेहरों को बारम्बार देखना दिलोदिमाग को नवउर्जा से भर देता है।

मन की ताकत देखने लायक है। संकल्प की शक्ति देखने लायक है।

भाला फेंक कर जो मुड़ के ना देखे वह जानता है के स्वर्ण पदक पक्का हो गया है।

अगला मुकाम पैरिस ओलंपिक है और अब नीरज की तरह हमें मुड़ कर नहीं देखना है।

Translate into English

Throwing the spear and not looking back was the pinnacle of confidence. He knew that the stance from which the spear was thrown and the elevation from which the spear was thrown ….. is certain to cross 85 meters. That’s why he didn’t even look at the throw.
Earlier this confidence was shown in Mahabharata when Arjuna did not even look at the fish by piercing its eyes.
Put the medals aside for some time.
Look at the confidence of a girl who faced one penalty stroke after another while standing on goal against a world-class team like Australia but not allowing the ball to cross the goalpost even once.
Look at the confidence of the wrestler who, after falling behind on points in wrestling, decided that the opponent wrestler should be head to win the wrestling….. made a bet and won the wrestling by hitting the opposition wrestler.
Watch the confidence of the boxer who took on his opponent in the boxing ring in the glory of the nation with stitches on his face.
Watch the confidence of a female golfer who, despite being ranked 200′ in the world, clashed with the world’s top-ranked golfers and was almost on the verge of winning a medal.
Barring a half-match, Sindhu’s confidence was worth seeing. Sindhu’s gestures …. body language were so strong that the opponents were laying down their weapons before the game.
Today Bajrang fought with amazing confidence. Really felt like a world-class wrestler has landed in the arena.
Seeing these faces of changing India, again and again, fills the heart and mind with new energy.
The power of the mind is worth seeing. The power of resolve is worth seeing.
He who throws the javelin does not look back, knows that the gold medal is confirmed.
Next up is the Paris Olympics and now like Neeraj, we don’t have to look back.

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