एक यात्री घोड़े पर सवार होकर कहीं जा रहा था। एक जंगल को पार कर समय उसे थकान महसूस होने लगी। इसलिए वह घोड़े से नीचे उतरा एक छायादार वृक्ष के नीचे लेट गया।
जल्दी ही उसे नींद आ गई। उसका घोड़ा वहीं पास में चरने लगा। कुछ घंटों बाद यात्री उठा तो उसने देखा कि उसका घोड़ा गायब है। उसने उसे वहाँ चारों तरफ ढूँढा, लेकिन उसे घोड़ा नहीं मिला।
तब उसने अपना मोटा डंडा उठाया और घोड़ा चोर को ढूँढने लगा। घोड़े को ढूँढते-ढूँढते वह नजदीक के गाँव में पहुँच गया। वहाँ पर उसने अपना डंडा घुमाते हुए चिल्लाकर कहा, “मेरा घोड़ा किसने चुराया है?
जिसने भी ये कार्य किया है वह मेरा घोड़ा लौटा दे, अन्यथा मैं वही करूँगा, जो मैंने पिछली बार किया था।” चोर उसी गाँव का था। उसकी बात सुनकर चोर डर गया और वह तुरंत घोडे को ले आया।
फिर वह यात्री के सामने हाथ जोड़कर बोला, “मुझे माफ कर दो। ये रहा तुम्हारा घोड़ा। लेकिन ये तो बताओ कि जब पिछली बार तुम्हारा घोड़ा चोरी हुआ था,
तब तुमने क्या किया था?” बुद्धिमान यात्री बोला, “कुछ भी नहीं! मैंने नया घोड़ा खरीद लिया था।” ये कहकर वह जोर जोर से हँसने लगा।