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बूढ़ा बाघ और लालची राहगीर !!

एक बाघ बूढ़ा होने के कारण काफी कमजोर हो गया था उसमें इतनी शक्ति भी नहीं बची थी कि वह अपने लिए कोई शिकार कर सके।

उसे एक सोने का कंगन मिला। कंगन लेकर वह कीचड़ में खड़ा हो गया और चिल्लाने लगा, “देखो, देखो! मेरे पास आओ और सोने का यह सुंदर कंगन ले लो।”

एक राहगीर वहाँ से गुजरा तो लालच में आकर रुक गया। उसे बाघ के पास जाने में डर भी लग रहा था।

“मैं तुम्हारा विश्वास कैसे करूँ?” उसने दूर से ही बाघ से पूछा। “अगर मैं कंगन लेने तुम्हारे पास आया तो तुम मुझे खा जाओगे।’

बाघ ने जवाब दिया, “मैं हमशा लोगों को मारता रहा, लेकिन अब मैं सुधर गया हूँ और भलाई का जीवन बिता रहा हूँ।

लोगों को दान करने में मुझे सुख मिलता है।” राहगीर उसकी बातों में आ गया लेकिन बाघ के पास आकर वह कीचड़ में फंस गया।

बूढ़े बाघ को इसी का इंतजार था। वह उस पर झपट पड़ा और कीचड़ में खींच ले गया।

वह राहगीर पछताते हुए रोने-चिल्लाने लगा, “हाय मेरी किस्मत! लालच में आकर मैं यही भूल गया कि हत्यारा हमेशा हत्यारा ही रहता है।

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कम्पार्टमेंट

उसने अपने बैग से एक फोन निकाला, वह नया सिम कार्ड उसमें डालना चाहती थी। लेकिन सिम स्लॉट खोलने के लिए पिन की जरूरत पड़ती है, जो उसके पास नहीं थी। मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और अपने क्रॉस बैग से पिन निकालकर लड़की को दे दी। लड़की ने थैंक्स कहते हुए पिन ले ली और सिम डालकर पिन मुझे वापिस कर दी