एक समय की बात है, एक गाँव में एक बहुत धनी व्यक्ति रहता था। वह सिर्फ धन से ही नहीं बल्कि मन से भी अमीर था। वह अपने गाँव की लोगो की हर मुश्किल परिस्तिथि में मदद करता था। उसका नाम दूसरे गाँव में भी प्रसिद्ध था। लेकिन उसका बेटा बहुत आलसी था, कोई काम नहीं करना चाहता था। इस बात से परेशान होकर वह व्यक्ति अपने एक दोस्त के पास गया और अपने बेटे के बारे में बताया।
उसके दोस्त ने उससे कहा, “परेशान होने की कोई बात नहीं तुम उसे मेरे पास भेज दो। मैं उसे कुछ महिनो में ठीक कर दूंगा।” उस धनी व्यक्ति ने घर आकर अपने बेटे को पास बुलाया और उससे कहा, “देखो बेटा, मैं अब वृद्ध होता जा रहा हूँ इसलिए अब तुम्हे सारा काम देखभाल करना होगा। क्यूंकि तुमने कभी कोई काम किया नहीं है इसलिए मेरे एक दोस्त के पास वह तुम्हे सारा काम समझा देगा। बस कुछ महीनो की बात है उसके बाद तुम वापस आ जाना।”
अगले दिन वह लड़का अपने पिता के दोस्त के पास गया और कहा, “चाचा जी मुझे पिताजी ने आपके पास काम सिखने के लिए भेजा है।” उस आदमी ने कहा, “ठीक है आओ बेटे मैं तुम्हे काम दिखा देता हूँ।” उस लड़के को एक बड़ी बंजर सुखी जमीन के सामने ले जाकर कहा, “बेटे जाओ इस जमीन को जोतो।”
उस लड़के को बहुत गुस्सा आया फिर भी उसने गुस्से को रोकते हुए कहा, “पर चाचा जी पिताजी ने काम सिखने को कहा है और आप यह बेकार जमीन जोतने को दे रहे हो और इसकी मिटटी भी पूरी सख्त है।” उस आदमी ने कहा, “बेटे मैं जो कह रहा हूँ उसे करो उसके बाद मैं काम के बारे में तुम्हे अच्छी तरह से समझा दूंगा।”
वह लड़का न चाहते हुए भी काम पर लग गया और सोचा कि कुछ ही दिनों की तो बात है उसके बाद घर जाकर फिर आराम ही आराम करूँगा। पहले दिन उसकी हालत ख़राब हो गई। वह पूरी तरह से थक गया था और मन ही मन अपने पिता को कोस रहा था उसके बाद वह रात को खाना खा कर वह सो गया।
अगली सुबह वह फिर उस आदमी के पास गया और कहा, “चाचा जी आज क्या काम करना है?” उस आदमी ने कहा, “बेटा आज बाजार जाकर कुछ बीज और पौधे लेकर आना और उस जमीन पर लगा देना।” उसने ऐसा ही किया और रोज पेड़ पौधों में पानी डालता रहा और उसकी देखभाल करने लगा। इस तरह कुछ महीने बीत गए और वहाँ वह बंजर जमीन सुंदर बगीचे में बदल गया। तब उस आदमी ने लड़के को पास बुलाया और उसे समझाया, “देखो बेटे यह जमीन कितनी बंजर थी तुमने इस पर मेहनत कर एकसुंदर बगीचे में बदल दिया। उसी तरह आलसी का जीवन बिना कर्म के व्यर्थ होता है।”
वह लड़का समझ गया कि मेहनत रंग लाति है और उसने कहा, “चाचा जी अब से मैं भी किसी काम में आलस नहीं करूँगा।” कुछ दिनों बाद वह धनी आदमी अपने बेटे से मिलने आया। उसका दोस्त उसे बेटे के पास ले गया। उस आदमी ने देखा उसका बेटा एक बहुत ही सुंदर बगीचे के पेड़ पौधों में पानी डाल रहा था। उस आदमी ने पूछा, “मित्र तुम,तुम्हारे यहा तो यह बगीचा नहीं था यह कब बनाय?”
उसके दोस्त ने कहा, “यह बगीचा तुम्हारे बेटे ने ही बनाया है।” यह सुन उस धनी व्यक्ति के आँखों से आँसू आ गया और उसने अपने मित्र को धन्यवाद दिया और अपने बेटे को लेकर चला गया।