एक दिन मोनू बीमार पड़ गया। डॉक्टर ने उसे खिचड़ी खाने की सलाह दी। मोनू की याददाश्त बहुत कमजोर थी, इसलिए वह घर जाते हुए रास्ते में ‘खिचड़ी-खिचड़ी’ बोलता हुआ जा रहा था।
शीघ्र ही वह खिचड़ी शब्द भूल गया और ‘खा चिड़ी, खा चिड़ी’ बोलने लगा। जब वह एक खेत से होकर गुजर रहा था, तो खेत के मालिक ने उसे ‘खा चिड़ी, खा चिड़ी’ कहते सुन लिया।
उसने मोनू को पकड़कर पीटना शुरू कर दिया और बोला, “तुम चिड़ियों को मेरी फसल खाने को कह रहे हो। ‘खा चिड़ी’ के बदले ‘उड़ चिड़ी’ बोलो।” . अब मोनू ने ‘उड़ चिड़ी, उड़ चिड़ी’ बोलना शुरू कर दिया।
रास्ते में एक बहेलिए ने चिड़िया पकड़ने के लिए जाल बिछाया हुआ था। उसने मोनू के शब्द सुने तो उसे बड़ा गुस्सा आया। उसने मोनू को जोरदार तमाचा मारते हुए कहा, “अरे, ‘उड़ चिड़ी, उड़ चिड़ी’ मत बोलो।
इससे तो चिड़िया उड़ जाएंगी। तुम ‘फँस चिड़ी, फँस चिड़ी’ बोलो।” अब मोनू ‘फँस चिड़ी, फँस चिड़ी’ बोलते हुए चलने लगा। आगे रास्ते में उसे लुटेरों के एक गिरोह ने पकड़ लिया और पीटना शुरू कर दिया।
वे बोले, “तुम हमें फँसवाकर पकड़वाना चाहते हो।” इस प्रकार बेचारे मोनू को अपनी कमजोर याददाश्त के कारण बार-बार पिटाई खानी पड़ी।